बसपा सैद्धान्तिक कारणों से गठबंधन नहीं करती: मायावती
लखनऊ, 13 सितम्बर (हि.स.)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और समाजवादी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच जुबानी जंग जारी है। शुक्रवार को एक बार फिर मायावती ने सपा प्रमुख के बयान पर सवालियां निशान खड़ा किया है। मायावती की ओर से यह कहा गया है कि अखिलेश यादव ने उनका एवं बसपा के किसी भी नेता का फोन उठाना बंद कर दिया था। इसके बाद बसपा ने गठबंधन तोड़ लिया।
मायावती ने शुक्रवार को सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव-2019 में यूपी में बसपा के 10 और सपा के पांच सीटों पर जीत के बाद गठबंधन टूटने के बारे में मैंने सार्वजनिक तौर पर भी यही कहा कि सपा प्रमुख ने मेरे फोन का भी जवाब देना बंद कर दिया था। इसको लेकर उनके द्वारा अब इतने साल बाद सफाई देना कितना उचित व विश्वसनीय? सोचने वाली बात।
बसपा सैद्धान्तिक कारणों से गठबंधन नहीं करती है और अगर बड़े उद्देश्यों को लेकर कभी गठबंधन करती है तो फिर उसके प्रति ईमानदार भी जरूर रहती है। सपा के साथ सन 1993 व 2019 में हुए गठबंधन को निभाने का भरपूर प्रयास किया गया, किन्तु ’बहुजन समाज’ का हित व आत्म-सम्मान सर्वोपरि।
बसपा जातिवादी संकीर्ण राजनीति के विरुद्ध है। अतः चुनावी स्वार्थ के लिए आपाधापी में गठबंधन करने से अलग हटकर ’बहुजन समाज’ में आपसी भाईचारा बनाकर राजनीतिक शक्ति बनाने का मूवमेन्ट है ताकि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का मिशन सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त कर आत्मनिर्भर हो सके।
हिन्दुस्थान समाचार / दीपक वरुण
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