गंगा में जीवन का संचार: फतहां घाट पर छोड़ी गईं 10,000 मछलियां

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गंगा में जीवन का संचार: फतहां घाट पर छोड़ी गईं 10,000 मछलियां


गंगा में जीवन का संचार: फतहां घाट पर छोड़ी गईं 10,000 मछलियां


- गंगा संरक्षण और जैव विविधता संवर्धन की अनूठी पहल

मीरजापुर, 13 मई (हि.स.)। गंगा की लहरों में एक नई हलचल देखने को मिली जब मंगलवार को मीरजापुर फतहां स्थित गंगा घाट पर केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी), प्रयागराज द्वारा 10,000 भारतीय प्रमुख कार्प मछलियों — कतला, रोहू और मृगल — के बीज गंगा नदी में छोड़े गए। यह पहल राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के तहत ‘नमामि गंगे’ परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य विलुप्त होती मत्स्य प्रजातियों का संरक्षण और गंगा की जैव विविधता को बनाए रखना है।

कार्यक्रम की अगुवाई करते हुए सिफरी के केन्द्राध्यक्ष डॉ. डीएन झा ने बताया कि गंगा न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि जलजीवों के लिए भी जीवनरेखा है। उन्होंने लोगों को गंगा की स्वच्छता और जैविक संरक्षण के महत्व से अवगत कराया।

मुख्य अतिथि देवराम (संयोजक, नमामि गंगे) ने गंगा और उससे जुड़ी मछलियों के महत्व पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि शशिधर साहू ने उपस्थित जनता से अपील की कि वे गंगा को स्वच्छ रखने के साथ उसकी जैव विविधता की रक्षा करें।

कार्यक्रम में राजेश शर्मा (संयोजक, गंगा विचार मंच) ने सभी को गंगा की स्वच्छता की शपथ दिलवाई। गंगा स्नान के लिए आए श्रद्धालु, मछुआरे और स्थानीय ग्रामीणों ने भी उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया और गंगा को स्वच्छ व जीवंत बनाए रखने का संकल्प लिया।

अंत में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. वेंकटेश ठाकुर ने सभी का आभार व्यक्त किया और विश्वास जताया कि परियोजना अपने उद्देश्यों को अवश्य प्राप्त करेगी। कार्यक्रम में वैज्ञानिक जितेंद्र कुमार सिंह, राम सजीवन, नंदन कुमार, संदीप कुमार, विकास गुप्ता, शिवेष पांडेय और विक्रम सिंह भी उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा

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