जन्मजात होते हैं रक्त टूटने वाले रोग : डाॅ. रीना दास
लखनऊ, 28 अप्रैल (हि.स.)। अटल बिहारी बाजपेयी साईंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में रविवार को उत्तर प्रदेश हेमेटोलॉजी ग्रुप की ओर से कई महत्वपूर्ण विषयों पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। पीजीआई चंडीगढ़ से आयीं डॉ. रीना दास ने बताया कि रक्त टूटने वाले रोग जन्मजात होते हैं। उनकी पहचान करना मुश्किल होता है।
केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने शोध की गुणवत्ता पर जोर देते हुए कहा कि शोध से निकले निष्कर्ष रोगियों के उपचार की दिशा निर्धारित करते हैं। रोगी के उपचार में विभिन्न विभागों का सामूहिक प्रयास उपचार को समग्रता एवम संपूर्णता प्रदान करता है।
थैलेसीमिया के मरीजों में आयरन ओवरलोड होने की समस्या होती है। ऐसा बार-बार रक्त चढ़ाने से होती है। ऐसे मरीजों का उपचार कैसे किया जाए, इस विषय पर उड़ीसा से आये डॉ आर के जेना ने विस्तार से बताया।
मुम्बई से आये अभय भावे ने एनीमिया पर बताया कि आयरन की कमी एक सामान्य समस्या है। इसके उपचार में आयरन की गोली का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि बिषम परिस्थितियों में नस के द्वारा आयरन देना भी उचित होता है और यह सुरक्षित भी होता है।
आयोजन सचिव डॉ एस पी वर्मा ने बताया कि प्रथम सत्र में राज्य के संस्थानों में हेमेटोलॉजी में पीजी कर रहे चिकित्सकों ने भाग लिया। जिसमें बीएचयू की टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। आरएमएल लखनऊ की टीम ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया तथा एम एल एन प्रयागराज की टीम ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। विजेताओं को केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने पुरस्कृत किया।
हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/राजेश
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