इलाहाबाद से इंडी गठबंधन व फूलपुर से भाजपा के उम्मीदवार विजयी

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इलाहाबाद से इंडी गठबंधन व फूलपुर से भाजपा के उम्मीदवार विजयी


-इलाहाबाद लोकसभा से 40 साल बाद इंडी गठबंधन को मिली सफलता

प्रयागराज, 04 जून (हि.स.)। मुंडेरा मंडी में प्रयागराज की दोनों लोकसभा सीटों फूलपुर और इलाहाबाद संसदीय सीटों पर कुल 29 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला हुआ। जिसमें एनडीए एवं इंडी गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर शुरू हुई जो देर तक चलती रही। अंत में इलाहाबाद लोकसभा से इंडी गठबंधन के उज्ज्वल रमण सिंह एवं फूलपुर लोकसभा से भाजपा के प्रवीण पटेल ने विजय हासिल की।

जिला निर्वाचन अधिकारी नवनीत सिंह चहल के साथ ही पर्यवेक्षकों, आरओ, एआरओ व प्रत्याशी या उनके एजेंटों की मौजूदगी में स्ट्रांग रूम खोला गया है। सबसे पहले सर्विस वोटर के ई पोस्टल बैलेट और अन्य वोटर्स के पोस्टल बैलट के वोटों की गिनती हुई। कड़ी सुरक्षा के बीच मतगणना सुबह लगभग 8ः30 बजे शुरू हुई और सुबह 9 बजे से रुझान आने शुरू हो गये। मतगणना के लिए लगभग 1000 कार्मिक लगाए गए थे।

जिला निर्वाचन अधिकारी नवनीत सिंह चहल के मुताबिक हर विधानसभा में 14-14 टेबलें लगाई गई हैं। निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में मतगणना कराई गई। फूलपुर लोकसभा सीट पर 15 उम्मीदवार और इलाहाबाद लोकसभा सीट पर 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। दोनों सीटों पर भाजपा और इंडी गठबंधन के प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला चला।

फूलपुर लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी प्रवीण पटेल और इंडी गठबंधन की ओर से सपा प्रत्याशी अमरनाथ सिंह मौर्य के बीच कड़ा मुकाबला रहा। वहीं, इलाहाबाद सीट पर भाजपा प्रत्याशी नीरज त्रिपाठी को इंडी गठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी उज्जवल रमण सिंह कड़ी टक्कर दिये। अंत में उज्ज्वल रमण सिंह 4,61,145 मत पाकर 58,795 वोटों से विजयी घोषित हुए और जिला निर्वाचन अधिकारी ने सर्टिफिकेट दिया। जबकि समाचार लिखे जाने तक प्रवीण पटेल के विजय की घोषणा नहीं हुई। जिसका कारण बवाल होना बताया गया है।

-कांग्रेस को 40 साल बाद मिली सफलता

उल्लेखनीय है कि, इलाहाबाद संसदीय सीट पर कांग्रेस ने 40 साल बाद परचम लहराया है। यह कांग्रेस के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है। उज्जवल रमण सिंह सपा के दिग्गज नेता रेवती रमण सिंह के पुत्र हैं। 1984 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अमिताभ बच्चन ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, उसके बाद यहां कांग्रेस वापसी के लिए तरस गई। देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की इस सीट पर उज्ज्वल रमण सिंह 40 साल बाद कांग्रेस का परचम लहरा रहे हैं।

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की कर्मभूमि रही फूलपुर लोकसभा सीट पर शुरू में कांटे की लड़ाई चली। अनुमान लगाया गया था कि फूलपुर में भाजपा की एकतरफा जीत होगी, लेकिन ऐसा होता दिखा। भाजपा के प्रवीण सिंह पटेल को सपा के अमरनाथ मौर्य से कड़ी टक्कर मिली।

लेकिन इसके बाद 1988 के उपचुनाव व 1989 में पार्टी दूसरे स्थान पर रही। वहीं, 1991 के बाद से तो कांग्रेस उम्मीदवार जमानत तक नहीं बचा पाए। 1991 से 2019 के बीच आठ बार लोकसभा चुनाव हुए। लेकिन 1999 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहीं रीता बहुगुणा जोशी जमानत बचा पाई थीं। इनके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे नंद गोपाल गुप्ता नंदी को ही एक लाख दो हजार 453 वोट मिले थे। लेकिन, वह भी जमानत नहीं बचा पाए थे।

इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी नीरज त्रिपाठी ने जनादेश का सम्मान कर अपनी हार स्वीकार करते हुए पार्टी नेतृत्व और पार्टी कार्यकर्ताओं संग आम नागरिकों का आभार जताते हुए कहा कि एक सेवक के रूप मे सदैव आप सबके बीच उपस्थित रहूंगा। जीत हार तो चुनाव में होती ही रहती है। मोदी जी और योगी जी के नेतृत्व में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया और तीसरी बार भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने जा रही है। मोदी जी के नेतृत्व में भारत विश्व की आर्थिक महाशक्ति बनेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/राजेश

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