लोस कानपुर : राममंदिर आंदोलन के बाद मोदी लहर में भाजपा लगाएगी हैट्रिक!

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लोस कानपुर : राममंदिर आंदोलन के बाद मोदी लहर में भाजपा लगाएगी हैट्रिक!


- लगातार दो बार से बड़े अंतराल से हार रही कांग्रेस ने अबकी बार बदला उम्मीदवार

- छह बार कांग्रेस तो पांच बार जीत चुकी है भाजपा, पांच बार वामपंथियों का भी रहा कब्जा

कानपुर, 01 मई (हि.स.)। देश की आजादी के बाद से करीब चार दशक तक कानपुर लोकसभा सीट में चुनावी मुकाबला कांग्रेस और वामपंथियों के बीच ही रहा। इसके बाद राम मंदिर आंदोलन से इस सीट का समीकरण पूरी तरह से बदल गया और 1991 में पहली बार भाजपा के जगतवीर सिंह द्रोण संसद पहुंचने में सफल रहे। यही नहीं उन्होंने हैट्रिक भी लगाई, लेकिन 1999 में समीकरण फिर बदल गये और कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल ने हैट्रिक लगा दी। इधर दो बार से भाजपा बड़े अंतराल से जीत रही है और राजनीतिक लोग कयास लगा रहे हैं कि मोदी लहर में भाजपा हैट्रिक लगा सकती है।

औद्योगिक नगरी कानपुर में पहला लोकसभा का आम चुनाव 1952 में हुआ। उस दौरान कांग्रेस का ही बोलबाला था और हरिहर नाथ शास्त्री विजयी हुए। हालांकि कानपुर औद्योगिक नगरी होने के चलते यहां की कंपनियों में मजदूर नेताओं की पकड़ अच्छी रही और मजदूर नेता ही विपक्ष की भूमिका में थे। इसके बाद 1957 के चुनाव में वामपंथ से जुड़े मजदूर नेता एसएम बनर्जी निर्दलीय जीते और लगातार चार संसद पहुंचने में सफल रहे।

1977 में देश का राजनीतिक माहौल बदला और इससे कानपुर भी अछूता नहीं रहा। इस चुनाव में जनता पार्टी से मनोहर लाल संसद पहुंच गये। इसके बाद एक बार फिर कांग्रेस ने पलटी मारी और 1980 व 1984 में क्रमश: आरिफ मोहम्मद खान और नरेश चन्द्र चतुर्वेदी चुनाव जीते, लेकिन 1989 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की सुभाषिनी अली ने चुनावी माहौल बदलकर जीत दर्ज कर ली। हालांकि अगले ही चुनाव 1991 में देश की राजनीति खासकर उत्तर भारत की पूरी तरह से बदल गई।

राम मंदिर आंदोलन से उपजी लहर में भाजपा के जगतवीर सिंह द्रोण ने पहली बार कानपुर में कमल खिला दिया और हैट्रिक भी लगाई। 1999 के चुनाव में कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल ने पूरा माहौल ही बदल दिया और लगातार तीन बार सांसद रहे। इसमें यूपीए वन में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री और यूपीए टू में उन्हें केन्द्रीय कोयला मंत्रालय विभाग मिला। 1999 से 2004 तक श्रीप्रकाश जायसवाल ने कानपुर में अपनी पकड़ मजबूत कर ली और जनता में लोकप्रिय हो गये, लेकिन 2014 में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने कानपुर से चुनाव अभियान की शुरुआत कर श्रीप्रकाश जायसवाल की जनता से पकड़ को दूर कर दिया। इस चुनाव में भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने एकतरफा जीत दर्ज की। 2019 के चुनाव में भी मोदी लहर का जादू रहा कि भाजपा के सत्यदेव पचौरी ने डेढ़ लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज की और श्रीप्रकाश को लगातार दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा।

अबकी बार 2024 में भाजपा नेतृत्व ने पत्रकार रमेश अवस्थी पर विश्वास जताया है, तो वहीं कांग्रेस ने भी प्रत्याशी बदल दिया और आलोक मिश्रा को चुनाव मैदान में उतारा है। शहर में जिस तरह से इन दिनों राजनीतिक माहौल बना हुआ है उसको देखते हुए राजनीतिक पंडितों का मानना है कि राम मंदिर आंदोलन के बाद मोदी लहर में भी भाजपा हैट्रिक लगाने जा रही है। हालांकि चार जून की मतगणना के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/राजेश

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