बुंदेलखंड की हमीरपुर सीट पर धनकुबेरों पर भारी पड़ सकती है भाजपा

बुंदेलखंड की हमीरपुर सीट पर धनकुबेरों पर भारी पड़ सकती है भाजपा
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बुंदेलखंड की हमीरपुर सीट पर धनकुबेरों पर भारी पड़ सकती है भाजपा


तीन विधानसभा क्षेत्रों में साइकिल नहीं पकड़ पाई रेस

हमीरपुर, 22 मई (हि.स.)। हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीट पर अबकी बार धनकुबेर प्रत्याशियों पर भाजपा का कमल भारी पड़ सकता है। संसदीय सीट में तीन विधानसभा क्षेत्रों में जहां चुनावी गणित में साइकिल रेस नहीं पकड़ पाई है लेकिन दो विधानसभा क्षेत्रों में ये भाजपा के कमल को तगड़ा झटका भी दे सकती है। फिलहाल मतदान के बाद गांव की चौपालों में भाजपा के कमल खिलने के फिर कयास लगाए जा रहे हैं।

बुंदेलखंड की हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा, सपा, बसपा समेत ग्यारह प्रत्याशियों की साख दांव पर लगी है। यहां के पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल तीसरी बार सांसद बनने के लिए चुनाव मैदान में हैं जबकि सियासी पारी खेलने के लिए पहली बार बसपा के हाथी के सहारे निर्दाेष दीक्षित चुनावी नैया पार लगाने की जुगत में है। इंडिया गठबंधन से सपा के अजेन्द्र सिंह राजपूत भी पहली बार किस्मत आजमा रहे है। संसदीय क्षेत्र के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में इस बार भी भाजपा और इंडिया गठबंधन की साइकिल से सीधी फाइट हुई है। जिससे कई इलाकों में साइकिल ने रफ्तार पकड़ी है

वहीं नगर और कस्बे से लेकर तमाम इलाकों तक भाजपा साइकिल पर भारी पड़ती दिख रही है। चुनाव मैदान में इंडिया गठबंधन के सपा प्रत्याशी अजेन्द्र सिंह राजपूत धनकुबेर हैं। इन्होंने बारहवीं तक ही पढ़ाई करने के बाद राजनीति में आए है। इन्हें अपने पिता से राजनीति विरासत में मिली है। पहली बार इंडिया गठबंधन में इनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। चुनावी गणित में इनकी साइकिल ने कही रफ्ताप पकड़ी है तो कहीं-कहीं पर भाजपा से इसे तगड़ा झटका भी लगने के कयास लगाए जा रहे है। बसपा प्रत्याशी भी करोड़पति है लेकिन राजनीति में ये पूरी तरह से अभी परफेक्ट नहीं हुए है। इसीलिए ये जातीय समीकरण के फेर में पड़ गए है।

मतदान दौरान ग्रामीण इलाकों में भाजपा के कमल को हाथी नहीं दे सका झटका

संसदीय क्षेत्र में पांचवें चरण में हुए मतदान में नगर से लेकर कस्बे और गांवों तक कमल और साइकिल में ही कड़ा मुकाबला हुआ। शुरू में यह दिख रहा था कि जातीय समीकरणों के उलटफेर में बसपा प्रत्याशी निर्दाेष दीक्षित से भाजपा कमजोर हो सकती है लेकिन मतदान में संसदीय सीट के हमीरपुर, राठ, महोबा, चरखारी और तिंदवारी आदि विधानसभा क्षेत्रों में बसपा का परम्परागत वोट एकजुट नहीं हो पाया। चर्चायें है कि भाजपा को झटका देने के बजाय हाथी को खुद ही झटका लगा है।

निर्णायक मतदाताओं की एकजुटता से अब कई दिग्गजों को मिल सकती है मात

हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय क्षेत्र में इस बार के चुनाव के मतदान में निर्णायक मतदाताओं की लामबंदी से कई दिग्गजों केचुनावी गणित फेल होते नजर आई है। संसदीय क्षेत्र में सर्वाधिक 22 फीसदी से ज्यादा दलित वोट है जबकि ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या करीब एक लाख है। इस बार ब्राह्मण और दलितों के बूते हाथी ने चुनावी लड़ाई त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की लेकिन मतदान के दिन सारी कवायद बेकार हो गई। ब्राह्मणों के एकजुट न होने से दिग्गज प्रत्याशियों के होश उड़ गए है।

बसपा के हाथी को जातीय समीकरणों के खेल में भितरघातियों ने दिया धोखा

बुंदेलखंड की लोकसभा-47 की सीट पर इस बार चुनाव परिणाम बड़े ही चौंकाने वाले आ सकते हैं। क्योंकि ऐन वक्त पर जहां बसपा के हाथी के जातीय समीकरणों का खेल बिगड़ गया वहीं भिरतरघातियों ने उनकी चुनावी गणित पर पानी फेर दिया है। हालांकि गांवों में सिटिंग एमपी व भाजपा प्रत्याशी से नाखुश मतदाताओं ने भी बड़े ही साइलेंट मोड में आकर मतदान किया है जिससे अबकी बार हार जीत का अंतर भी पचास से सत्तर हजार मतों के बीच ही रहने के कयास यहां लोग लगा रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/पंकज//बृजनंदन

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