भारत को आत्मनिर्भर बनाने में बायो एग्री का महत्वपूर्ण योगदान होगा : डा. संजय कुमार

भारत को आत्मनिर्भर बनाने में बायो एग्री का महत्वपूर्ण योगदान होगा : डा. संजय कुमार
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भारत को आत्मनिर्भर बनाने में बायो एग्री का महत्वपूर्ण योगदान होगा : डा. संजय कुमार


लखनऊ, 12 अप्रैल (हि.स.)। सीएसआईआर– एनबीआरआई (राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान ) लखनऊ ने अपने संस्थापक प्रोफ़ेसर कैलाश नाथ कौल की स्मृति में एक विशेष व्याख्यान आयोजित किया । इस अवसर पर कृषि एवं मंत्रालय के कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल के अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे ।

इस अवसर पर डॉ. संजय कुमार ने कहा कि भविष्य में आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में कुछ क्षेत्रों का महत्वपूर्ण योगदान रहने वाला है। इसमें बायोफार्मा, बायो रिसर्च, बायो इंडस्ट्री, बायो-एग्री एवं बायो आई टी प्रमुख हैं। इन क्षेत्रों में किये जा रहे अपने प्रयासों के माध्यम से न केवल अगली पीढी को उत्पाद बनाने में मदद मिलेगी, अपितु विभिन्न क्षेत्रों में आत्म निर्भरता भी प्राप्त होगी।

उन्होंने इस सन्दर्भ में विभिन्न जैव-संसाधनों के उचित प्रयोग की दिशा में आने वाली चुनौतियों विशेषकर जैव संसाधनों की मात्रा एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करना, भूमि का सदुपयोग, मूल्य वर्धन प्रक्रिया, प्रसंस्करण एवं पैकिंग तथा बाजार से संबंध स्थापित करने में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए उचित रणनीतियां बनाने पर चर्चा की।

इस अवसर पर उन्होंने उदहारण के तौर पर भारत में हींग की खेती, पूर्वोत्तर में सेब की खेती, हिमाचल में वास्तविक दालचीनी की खेती तथा सजावटी पुष्पों में नए फूलों की खेती जैसी नवीन शुरुआतों की चर्चा भी की, जिनके माध्यम से किसानों की आय भी बढ़ रही है। इस अवसर पर उन्होंने संस्थान से अपने पुराने संबंधों की चर्चा करते हुए वैज्ञानिकों का आवाहन किया कि वह ऐसे शोध कार्यों पर अधिक ध्यान दें, जिनके लाभ आम जनता एवं उद्योगों तक पहुँचाया जा सके।

पद्मभूषण प्रोफेसर कैलाश नाथ कौल एक महान भारतीय वनस्पतिशास्त्री, प्रकृतिप्रेमी एवं सफल कृषि वैज्ञानिक थे जिनको बागवानी, वन्यजीव, पेड़ पौधों से काफी लगाव था। प्रो. कौल ने ही राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान की वर्ष 1948 में स्थापना की जिसे बाद में वर्ष 1953 में सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान कर दिया गया| इसके अलावा प्रो. कौल ने भारत के बाहर विभिन्न देशों जैसे श्रीलंका, इंडोनेशिया, थाईलैंड, जापान, फिलिपींस आदि में भी वनस्पति उद्यानों की स्थापना में अपना सहयोग दिया।

कार्यक्रम का प्रारंभ प्रोफेसर कैलाश नाथ कॉल को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुआ। संस्थान के निदेशक प्रो. अजित कुमार शासनी ने अपने स्वागत सम्बोधन में कार्यक्रम में पधारे अतिथियों एवं श्रोताओं का स्वागत करते हुए प्रो. कौल के योगदान का उल्लेख किया। कार्यक्रम के अंत में संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एस के तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/बृजनंदन

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