पांच साल बाद बीएचयू के युवा महोत्सव ‘स्पंदन’ की वापसी,विद्यार्थियों में उत्साह

—विवि के सभी संकायों, संस्थानों और महाविद्यालयों के 2500 से अधिक विद्यार्थी और अध्यापकों की होगी भागीदारी
वाराणसी,01 मार्च (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) का अंतर-संकाय सांस्कृतिक युवा महोत्सव ‘स्पंदन’ पांच साल बाद फिर वापसी कर रहा है। तीन मार्च से छः मार्च तक चलने वाले इस महोत्सव को लेकर विद्यार्थियों में जबरदस्त उत्साह है । इस बार महोत्सव में विश्वविद्यालय के सभी संकाय, संस्थान और महाविद्यालयों के विद्यार्थी 11 मंचों पर तकरीबन 40 प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेंगे।
शनिवार को यह जानकारी विश्वविद्यालय के छात्र अधिष्ठाता प्रो. अनुपम कुमार नेमा ने दी। अपने कार्यालय में मीडिया कर्मियों से रूबरू प्रो. नेमा ने बताया कि महोत्सव का उद्घाटन तीन मार्च को एम्फीथियेटर ग्राउंड में होगा। जिसमें विश्वविद्यालय की पुरातन छात्रा शास्त्रीय गायिका पद्मश्री डॉ. सोमा घोष मुख्य अतिथि होंगी।
स्पंदन के संयोजक प्रो. बी. सी. कापड़ी ने बताया कि स्पंदन महोत्सव विश्वविद्यालय की परंपरा का हिस्सा है और इसके सफल व भव्य आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के 2500 से अधिक सदस्य सक्रियता से भागीदारी कर रहे हैं। आचार्य प्रभारी, बाह्य सम्प्रेषण, तथा स्पंदन की मीडिया समिति के प्रमुख प्रो. अनुराग दवे ने बताया कि स्पंदन विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की ऊर्जा व उत्साह का महोत्सव है।
प्रो. दवे के अनुसार एम्फीथियेटर ग्राउंड में विभिन्न संकायों के विद्यार्थियों के भव्य शोभायात्रा के बीच अपरान्ह दो बजे से स्पंदन का आगाज़ होगा। शाम पांच बजे से एम्फीथियेटर के मंच पर कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन समारोह आयोजित किया जाएगा। युवा महोत्सव में संगीत, नृत्य, साहित्यिक, नाटक और ललित कला समेत विभिन्न वर्गों की विविध प्रतियोगिताओं में विद्यार्थी अपना हुनर दिखाएंगे। यह कार्यक्रम डॉ. ओमकार नाथ ठाकुर प्रेक्षागृह, के. एन. उडुपा प्रेक्षागृह, स्वतंत्रता भवन, महामना हॉल सेमिनार कॉम्प्लेक्स (विज्ञान संस्थान), एग्जिबिशन हॉल दृश्य कला संकाय, डॉ. कर्ण सिंह हॉल शारीरिक शिक्षा, मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र, मालवीय भवन, कृषि शताब्दी भवन और संकाय लाउंज विधि संकाय में आयोजित होंगे।
उन्होंने बताया कि स्पंदन की तैयारी में विश्वविद्यालय के विद्यार्थी पूरे उत्साह के साथ जुटे हुए हैं। परिसर में कहीं नृत्य की थिरकन तो कहीं संगीत के स्वर सुनाई दे रहे हैं। कहीं प्रतिभागी अपने नाटक का पूर्वाभ्यास कर रहे हैं तो ललित कला के प्रतिभागी अपने पेंसिल और ब्रश को धार दे रहे हैं। एक तरफ प्रतिभागी जहां अपने हुनर को तराशने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ विश्वविद्यालय के बाकी विद्यार्थी भी महोत्सव को सफल बनाने के लिए इसके रंग में रंग गए हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी