श्री काशी विश्वनाथ धाम में लड्डू गोपाल की भोग आरती, शाम को वीणा वादन

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श्री काशी विश्वनाथ धाम में लड्डू गोपाल की भोग आरती, शाम को वीणा वादन


श्री काशी विश्वनाथ धाम में लड्डू गोपाल की भोग आरती, शाम को वीणा वादन


- लड्डू गोपाल की शक्ति स्वरूपा माँ गौरा के साथ हुई आराधना

वाराणसी, 31 अगस्त (हि.स.)। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व से श्री काशी विश्वनाथ के दरबार में विराजे श्री लड्डू गोपाल की छठी भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि एक सितम्बर तक आराधना होगी। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा संकल्पित नवाचारों के अंतर्गत धाम में पांचवे दिन शनिवार को श्री लड्डू गोपाल की महादेव श्री विश्वेश्वर के साथ भोग आरती पूर्वांह 11.30 बजे मंदिर के गर्भगृह में की गई। सायं काल पॉच बजे सत्यनारायण मंदिर, मुख्य मंदिर परिसर में लड्डू गोपाल के विष्णुस्वरूप होने का अनुष्ठान किया जाएगा। शाम को ही आंध्र प्रदेश की वीणा वादक नागलक्ष्मी और उनके साथ 15 कलाकार मंदिर चौक में वीणा वादन करेंगे। इसके पहले शुक्रवार शाम को श्री लड्डू गोपाल की शक्ति स्वरूपा माँ गौरा के साथ आराधना की गई।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव के पांचवे दिन श्री लड्डू गोपाल और मां गौरा का लाल रंग एवं सफ़ेद रंग के फूलों से श्रृंगार कर लाल रंग का वस्त्र धारण कराया गया। शक्ति स्वरूपा माँ गौरा के साथ विराजमान लड्डू गोपाल का सायं काल से शयन आरती तक निरंतर श्रद्धालुओं ने दर्शन पूजन किया। नारायण स्त्रोत के पाठ से भगवान श्री लड्डू गोपाल की आराधना प्रारंभ हुई। रविवार को लड्डू गोपाल भगवान छठ्ठी के पश्चात अगले वर्ष तक के लिए विष्णुरूप हो प्रस्थान करेंगे। ऐसे में शोभायात्रा के समय लड्डू गोपाल ने सभी देवताओं से उनके मंदिर में जा कर प्रतीक रूप से भेंट की। माता पार्वती के पास से शोभा यात्रा प्रारंभ हुई। सबसे पहले श्री विश्वेश्वर के उत्तरी द्वार से दर्शन के पश्चात लड्डू गोपाल ने निकुंभ विनायक से भेंट की। फिर नंदीश्वर, व्यासेश्वर महादेव, कुबेरेश्वर महादेव से मिलते हुए लड्डू गोपाल ने विश्वनाथ जी से ईशान कोण में स्थित देवी अन्नपूर्णा माता के मंदिर में रुक कर अन्नपूर्णा माता से अक्षत ग्रहण किया।

इसके बाद बद्री नारायण जी और त्रिदेवियों मां गंगा, यमुना एवं सरस्वती से मिलते हुए लड्डू गोपाल ने सत्यनारायण मंदिर में रुक कर अपनी माला बदली। तत्पश्चात भौमेश्वर, अविमुक्तेश्वर एवं तारकेश्वर महादेव को प्रणाम कर लड्डू गोपाल ने दक्षिणी द्वार से प्रवेश कर विश्वनाथ जी से भेंट की और रुद्राक्ष धारण किया। उसके बाद दंडपाणी जी को नमस्कार कर लड्डू गोपाल ने हनुमान जी से भी भेंट की। साल भर के लिए पुनः विष्णुरूप में स्थित होने से पूर्व लड्डू गोपाल की सभी देवताओं से भेंट करा कर पुनः समारोह पूर्वक शोभायात्रा की वापसी हुई। वापस आ कर लड्डू गोपाल ने फिर से माता पार्वती से सम्मुख आसन ग्रहण किया।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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