भागवत वेद श्रीमद् भगवत गीता एवं ब्रह्मसूत्र का सार है: श्याम मनोहर

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—भागवत व्यासपीठ की अपील, युवावर्ग पथभ्रष्ट होने से बचने के लिए धर्म-अध्यात्म का लें सहारा

वाराणसी,08 जनवरी (हि.स.)। मैदागिन स्थित बीसु जी मंदिर के षष्ठपीठाधीश्वर गोस्वामी श्याम मनोहर ने कहा कि भागवत वेद श्रीमद् भगवत गीता एवं ब्रह्मसूत्र का सार है। भगवान और भक्तों की कथा ही भगवत है। कलयुग में महाप्रभु बल्लभाचार्य व गोसाई विठ्ल नाथ जी ने भारत वर्ष के सम्पूर्ण जन जन को जात पात के भेद भाव को दूर करके एकता के सूत्र में पिरोया।

गोस्वामी श्याम मनोहर बुधवार शाम को मंदिर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा में ज्ञानगंगा बहा रहे थे। उन्होंने बताया कि भारत के प्रमुख तीर्थों में 84 स्थानों पर श्रीमद भागवत कथा का सप्ताह परायण किया और इसी उद्देश्य को ध्यान में रख करके शरद वल्लभा बेटीजी महाराज ने 1969 में भारत भारती परिषद की स्थापना की। और तभी से श्रीमद भागवत परायण आज भी हो रहा है। कथा में व्यासपीठ से आचार्य पं. संजय कृष्ण शास्त्री 'भाईजी' ने सभी सनातनी माता पिता से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें । विशेष रूप से आज के युवा वर्ग को पथभ्रष्ट होने से बचने के लिए धर्म-अध्यात्म एवं ईश्वरनुरागी बनाए। उन्होंने रामराज्य की चर्चा करते हुए कहा कि रामराज्य में तीन चीजें सस्ती और सर्वसुलभ थी । इसमें शिक्षा, चिकित्सा और न्याय प्रमुख है। यदि आज भारतवर्ष में सरकार भले ही टैक्स में वृद्धि कर दें लेकिन शिक्षा, चिकित्सा और न्याय को सस्ती और सबके पहुंच के अन्दर कर दें तो रामराज्य की झलक मिल जाएगी। कथा में अशोक बल्लभदास, राजीवन द्रविड़, दिनेश रामनारायण (कार्यक्रम संयोजक), राकेश तिवारी (भजन गायक), गौरव अग्रवाल, दीपक अग्रवाल, बृजेश अग्रवाल आदि भी मौजूद रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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