बलिया : सनबीम स्कूल में जीवंत हुई 1942 की क्रांति

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बलिया : सनबीम स्कूल में जीवंत हुई 1942 की क्रांति


बलिया, 28 सितंबर (हि.स.)।

शहर से सटे अगरसंडा स्थित सनबीम स्कूल में शनिवार को विद्यालय प्रांगण में मशहूर रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी द्वारा लिखित नाटक क्रांति 1942 एट बलिया का मंचन किया गया। मंच पर संस्था संकल्प के कलाकारों ने बलिया के महान क्रांतिकारियों की भूमिका को जीवंत कर सभी को गर्व की अनुभूति कराया। इसके पहले

कार्यक्रम का शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि आशीष त्रिवेदी, निदेशक डाॅ. कुंवर अरुण सिंह, प्रधानाचार्य डाॅ. अर्पिता सिंह द्वारा तुलसी वेदी पर दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। नाटक में कलाकारों ने अपने अभिनय से बलिया की क्रांति को दोबारा जीवंत कर दिया। 18 अगस्त 1942 में हुए बैरिया शहादत, 16 अगस्त को बलिया सब्जी मंडी में गोली कांड जैसे दृश्य को देखकर कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोग भाव विभोर हो उठे।

नाटक में जानकी देवी के नेतृत्व में बलिया कलेक्ट्रेट पर महिलाओं ने जब तिरंगा फहराया तो दर्शक नारी शक्ति की जयकार करने लगे। नाटक की प्रस्तुति के बाद रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने विद्यार्थियों से नाटक से जुड़े प्रश्न भी पूछे गए। जिसका उत्तर विद्यार्थियों ने बड़ी उत्सुकता के साथ दिया।

इस अवसर पर विद्यालय निदेशक डाॅ. कुंवर अरुण सिंह ने कहा कि बलिया को बागी कहने के पीछे बहुत गूढ़ अर्थ है। बलिया अपने क्रांतिकारियों के बल पर सन 1942 में ही आजाद हो गया था। उन क्रांतिवीरों की कुर्बानी के कारण बलिया का नाम इतिहास के पन्नों पर स्वर्णाक्षरों में अंकित हैं। वहीं, प्रधानाचार्या डाॅ. अर्पिता सिंह ने विद्यार्थियों को अभिनय के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि अभिनय की प्रतिभा बहुत कम लोगों में पाई जाती है। यदि आप अभिनय में रुचि रखते हैं तो आगे बढ़कर अपनी कला को निखारें।

इस अवसर पर संतोष कुमार चतुर्वेदी, शहर बानो व नीतू पाण्डेय आदि की भूमिका सराहनीय रही। कार्यक्रम का संचालन विद्यार्थी शौर्य पांडे ने किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / नीतू तिवारी

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