अतिआत्मविश्वास बना बलिया में भाजपा की हार की वजह!
बलिया, 04 जून (हि. स.)। पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर का गढ़ रही बलिया संसदीय सीट से भाजपा द्वारा नीरज शेखर को टिकट देना काम न आया। एक बार फिर से यह सीट समाजवादी पार्टी की झोली में चली गई। लगातार दो बार से चुनाव जीत रही भाजपा की इस बार अतिआत्मविश्वास का शिकार हो गई।
बलिया से सपा में इस बार ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए सनातन पाण्डेय को उम्मीदवार बनाया था। सनातन पाण्डेय 2019 में भी सपा प्रत्याशी थे और महज पन्द्रह हजार के अंतर से हारे थे। सपा में प्रत्याशी नहीं बदला, लेकिन भाजपा ने विकास पुरूष की छवि बना चुके वीरेन्द्र सिंह मस्त की जगह चन्द्रशेखर के बेटे को टिकट दिया। जो 2007 और 2009 में जीतने के बाद 2014 के भाजपा के भरत सिंह से मात खा गए थे। नीरज शेखर राज्यसभा सांसद हैं। टिकट मिलने के बाद उन्होंने खूब जोर लगाया, लेकिन चुनाव हार गए। टिकट मिलने के बाद से ही उन्हें भीतरघात का सामना करना पड़ा। पार्टी के दिग्गजों ने शुरुआत में प्रचार से मुंह मोड़ लिया था। बाद में वे लगे भी तो देर हो चुकी थी।
इसके अलावा भाजपा के प्रत्याशियों में मोदी हैं तो सब मुमकिन है वाली आदत घर कर गई है। उन्हें लगता है कि मोदी के नाम पर चुनावी नाव किनारे लग ही जाएगी। यह अतिआत्मविश्वास भी कहीं न कहीं खतरनाक साबित हुआ।
वहीं, राजनीतिक विश्लेषक डा. कुंवर अरुण सिंह गामा की मानें तो अतिआत्मविश्वास और कमज़ोर चुनाव संचालन से भाजपा की चुनाव पर पकड़ ढीली हो गई। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही रणनीति कि कमी और भाजपा के पुराने लोगों की उपेक्षा से भी असर पड़ा। मजे हुए लोग भी घर बैठे रहे। एनडीए के घटक सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर पर ज्यादा भरोसा भी घातक सिद्ध हुआ।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का बलिया ना आना भी एक बड़ी वजह हार की है। कहा कि गृहमंत्री अमित शाह का भाषण आपने सुना होगा। सोनबरसा अस्पताल को 100 बेड का अस्पताल बता रहे थे। जबकि वहां कुत्ते काटने की सुई तक नहीं है। इसी तरह से हवा हवाई प्रचार से भाजपा की साख गिरी। जिसका नतीजा हुआ कि हार मिली है।
हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/राजेश
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