युवाओं को लोक कलाओं से परिचित कराने के लिए उत्सव होते रहने चाहिए : कुलपति
बलिया, 17 अगस्त (हि.स.)। बिरहा महोत्सव शनिवार को गंगा बहुद्देशीय सभागार में आयोजित हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चन्द्रशेखर विव के कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्ता ने दीप प्रज्ज्वलित कर उद्धघाटन किया। कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्ता
ने कहा कि यह लोक कलाएं हमारी संस्कृति की विरासत है। आज के युवा मोबाइल और सोशल मीडिया में अपना अधिक समय दे रहे हैं। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि युवाओं को अपनी लोक कलाओं से परिचित कराने के लिए ऐसे उत्सव होते रहने चाहिए। इसके लिए हमारे लोक कलाकार को बधाई, जो वे अपनी संस्कृति को समाज के सामने आज भी ला रहे हैं।
उप्र लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान, संस्कृति विभाग एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वाधान में विरासत कार्यक्रम के अंतर्गत इस आयोजन में बस्ती की लोक कलाकार शारदा देवी ने कार्यक्रम की शुरुआत वीणावादिनी माता को समर्पित लोकगीत 'मोरी माई तेरा सरगत सितार' से किया। उसके बाद बलिया के बिरहा कलाकार राम कृपाल यादव ने राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत गीत 'हमार झण्डवा तिरंगवा गगन में लहरी' से शुरूआत की। मऊ के बिरहा कलाकार चंद्र किशोर पाण्डेय ने देशभक्ति गीत और कजरी से उपस्थित सभी दर्शकों का मनोरंजन किया। गाजीपुर के कलाकार पारस नाथ सिंह ने मुंदरी सीता संवाद के दृश्य को संदर्भित करते हुए 'कौनो जतानियां प्यारी मुंदरी दुलारि हो' गाकर सबकाे भावविभोर कर दिया। वाराणसी के लोक कलाकार मन्ना लाल यादव ने 'भारत देशवा मोर सबसे महान निशान जेकर फहरे है मितवा' गाकर सभी को आनंदित कर दिया।
हिन्दुस्थान समाचार / नीतू तिवारी / शरद चंद्र बाजपेयी / राजेश
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