श्री बाल रामलीला नाट्य कला मंदिर में हुआ धनुष यज्ञ का जीवंत मंचन, लगे जयकारे

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श्री बाल रामलीला नाट्य कला मंदिर में हुआ धनुष यज्ञ का जीवंत मंचन, लगे जयकारे


श्री बाल रामलीला नाट्य कला मंदिर में हुआ धनुष यज्ञ का जीवंत मंचन, लगे जयकारे


श्री बाल रामलीला नाट्य कला मंदिर में हुआ धनुष यज्ञ का जीवंत मंचन, लगे जयकारे


हरदोई, 07 अक्टूबर (हि.स.)। जनपद के शाहाबाद चाैक स्थित श्री बाल रामलीला नाट्य कला मंदिर में रविवार की देर शाम हुआ रामलीला का मंचन एक बार फिर से दर्शकों के लिए एक अनोखा अनुभव लेकर आया। वृन्दावन से आये मेहमान कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए गए फुलवारी, धनुष यज्ञ, परशुराम लक्ष्मण संवाद लीला मंचन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। रावण का किरदार मेला सरंक्षक रमाकांत मिश्रा ने अदा किया, जिसकी प्रशंसा सभी ने की उनके अभिनय ने दर्शकों को रावण के किरदार की भावनाओं को महसूस कराया, वाणासुर का किरदार मंच व्यवस्थापक रमेश सैनी ने अदा किया, उनके अभिनय ने दर्शकों को वाणासुर के किरदार की शक्ति को महसूस कराया। लीला का शुभारंभ गणेश आरती पूजन के बाद हुआ।

राजा जनक द्वारा आयोजित धनुष यज्ञ में देश देशांतर के सभी राजा-महाराजाओं को आमंत्रित किया गया। राजा जनक का संदेश सुनकर सभी राजाओं द्वारा धनुष भंग करने के लिए अपना दम-खम दिखाते हुए असफल प्रयास किए गए। इससे राजा जनक बहुत दुखी हुए और विलाप करते हुए कहने लगे कि शायद धरती वीरों से विहीन हो गई है, अब सीता का विवाह किससे होगा। यह सुनते ही लक्ष्मण जी क्रोधित हो गए और राजा जनक से कहा कि महाराज शायद आपको यह ज्ञात नहीं है की आपकी सभा में सूर्यवंशी, रघुवंशी प्रभु श्रीराम बैठे हैं। आप ऐसा कहकर हमारे सूर्यवंश का अपमान कर रहे हैं, जो हमें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होगा। अंत में प्रभु श्रीराम जी के समझाने पर लक्ष्मण जी शांत हुए और गुरु विश्वामित्र जी की आज्ञा पाकर भगवान श्रीराम जी ने शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाकर झट से तोड़ दिया और देवलोक से देवताओं द्वारा पुष्पवर्षा कर मंगलकामना की गई। इसी के साथ माता सीता ने प्रभु श्रीराम जी के गले में वरमाला पहनाई और लोगों ने सीताराम जी के देर तक जयकारे लगाए।

वहीं यह जानकारी परशुराम को प्राप्त होते ही पूरे रामलीला मैदान में परशुराम की गर्जना से सन्नाटा पसर गया, धरती आकाश पाताल डोलने लगता है। उनके क्रोध को देखकर लक्ष्मण भी उग्र हो जाते हैं, किन्तु श्री रघुनाथ जी के वचन सुनकर परशुरामजी की बुद्धि के परदे खुल गए, वो समझ गए कि इस शिव धनुष को तोड़ने वाला कोई साधारण पुरुष नहीं हो सकता तब उनकी समझ में आया कि यह तो साक्षात प्रभु राम हैं। परशुरामजी बोले प्रभु, क्षमा करना, मुझसे भूल हो गई, मैंने अनजाने में आपको बहुत से अनुचित वचन कहे, मुझे क्षमा कीजिए। मंचन को देख मौजूद लोगों ने प्रभु श्रीराम के जयकारे लगाए।

मंच संचालन अम्बरीश द्विवेदी द्वारा किया। श्री बाल रामलीला नाट्य कला मंदिर, चौक मेलाध्यक्ष ने आयोजन की सफलता के लिए सभी कलाकारों और आयोजकों को धन्यवाद दिया, साथ ही सभी दर्शकों को राम बारात के आमंत्रित किया गया। इस अवसर पर मेला कमेटी के सभी पदाधिकारी व सदस्य सहित सैकड़ों की संख्या में दर्शक उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / अंबरीश कुमार सक्सेना

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