भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुकूल हो भारतीय शिक्षा : डी राम कृष्ण राव
अयोध्या, 9 अगस्त (हि.स.)। मूल्य आधारित शिक्षा से ही श्रेष्ठ समाज का निर्माण संभव है। जीवन निर्माण करने वाली शिक्षा ही आने वाली पीढ़ियों को भारतीय इतिहास ,ज्ञान और भारत बोध कराने के सहायक होगी। शिक्षा एक महा मंत्र है जिसके द्वारा समाज के विकास की गति और प्रगति सुनिश्चित की जाती है ऐसे में राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 पूरे शिक्षा क्षेत्र में परिवर्तन के लिए अग्रसर है । उक्त बातें विधा भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान द्वारा साकेत निलयम में आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय मंत्री समूह की कार्यशाला का उदघाटन करते हुये शुक्रवार को विधा भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डी राम कृष्ण राव ने कही । उन्होंने कहा की अभी तक भारत में शिक्षा कैसी हो, इसपर रणनीति बनती थी। लेकिन अब शिक्षा में भारत कैसा हो । इसपर कार्य हो रहा है। वर्तमान समय में शिक्षा केवल सूचनाओं का संकलन मात्र नहीं है। बच्चे सूचनाओं के माध्यम से अपने अनुभव के आधार पर नवीन ज्ञान का सृजन करते है । भारत का ज्ञान वैश्विक स्तर पर भारत को ज्ञान गुरु बनाने की ओर अग्रसर है।
उक्त कार्यशाला में देश भर से अनेक शिक्षाविद, चिंतक, विचारक और विधा भारती के क्षेत्र और प्रांत स्तर के सभी मंत्री प्रतिभाग कर रहे है । विशेष रूप से कार्यशाला मे गोविन्द चन्द्र महंत, यतीन्द्र शर्मा , अवनीश भटनागर , श्रीराम अरावकार , हेमचन्द्र सहित अन्य उपस्थित थे। यह जानकारी पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के मंत्री डॉ. सौरभ मालवीय ने दिया।
हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय / बृजनंदन यादव
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