गुरुदेव ने सेवा धर्म काे किया अंगीकार : उद्धव शरण

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गुरुदेव ने सेवा धर्म काे किया अंगीकार : उद्धव शरण


अयोध्या, 04 नवम्बर (हि.स.)। पूर्वाचार्य के वैकुंठ महाेत्सव पर अयोध्या धाम की सुप्रसिद्ध पीठ श्रीरामप्रिया कुंज रामकाेट के साकेतवासी महंत ब्रह्मर्षि याेगीराज परमहंस कृष्णशरण महाराज काे 16वीं पुण्यतिथि पर संताें ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी। जाे मंदिर में निष्ठापूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर एक श्रद्धांजलि सभा आयाेजित हुई, जिसमें धर्मनगरी के संत-महंत एवं विशिष्टजनाें ने साकेतवासी महंत के चित्रपट पर श्रद्धासुमन अर्पित कर नमन किया। संताें ने उनके कृतित्व और व्यक्तित्व पर प्रकाश भी डाला और संत-महंत, भक्तजनों ने प्रसाद ग्रहण किया।

महंत डॉ. उद्धव शरण ने बताया कि आश्रम में सद् गुरुदेव स्वामी परमहंस कृष्णशरण महाराज वैकुंठ महाेत्सव श्रद्धापूर्वक मनाया गया। यह महाराज श्री का 16वां वैकुंठ महाेत्सव रहा। संताें ने उन्हें निष्ठा से याद किया और विनम्र श्रद्धांजलि दी। वह अप्रतिम प्रतिभा के धनी संत थे। जाे गाै एव संत सेवी रहे। वह भजन-साधना में तल्लीन रहा करते थे। उनका व्यक्तित्व बड़ा ही उदार था। सरलता ताे उनमें देखते ही झलकती थी। उनकी गणना विद्वान संताें में हाेती रही। रामनगरी के सभी संत-महंत उनका सम्मान करते थे। उन्होंने अयोध्यानगरी में श्रीरामप्रिया कुंज नामक एक आश्रम की स्थापना कर उसका कार्यभार संभाला। जिसके वह संस्थापक एवं प्रथम आचार्य हुए। उन्होंने मठ का सर्वांगीण विकास किया।

वर्तमान में मंदिर अपनी उत्तराेत्तर समृद्धि की ओर अग्रसर है। जहां गाै, संत, विद्यार्थी, आगंतुक सेवा सुचार रूप से चल रही है। सभी उत्सव, समैया, त्याेहार आदि परम्परागत रूप से मनाया जा रहा है। प्रतिवर्ष मंदिर के उत्सव, समैया में लाखों भक्तगण सम्मिलित हाेकर पुण्य के भागीदार बनते हैं। गुरुदेव ने सेवा काे ही अपना धर्म माना। आजीवन सेवा ही परमाेधर्मा के मार्ग पर चलते रहे और उसी काे अंगीकार किया। साथ ही अपने शिष्य-अनुयायियाें काे भी सेवा का पाठ पढ़ाया। सेवा धर्म के लिए प्रेरित किया। उनके दिशा-निर्देशन में कई सेवा प्रकल्प के कार्य संचालित हुए। जिनमें बहुत से सेवा प्रकल्प आज भी चल रहे हैं।

महाराज श्री काे पुष्पांजलि अर्पित करने वाले लोगों में महंच कमलनयन दास, विंदुगाद्याचार्य महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य, महंत वैदेहीवल्लभ शरण, अधिकारी राजकुमार दास, जगतगुरु परमहंसाचार्य, रसिक पीठाधीश्वर महंत जन्मेजय शरण, महंत रामभूषण दास कृपालु, महंत उमेश दास, स्वामी अनंत पद्मनाभाचार्य, महंत जयराम दास, महंत गणेशानंद दास, महंत राममिलन शरण, महंत रमेश दास, महंत गाेविंद दास, महंत रामकुमार दास, महंत गिरीश दास, महंत जनार्दन दास, महंत सच्चिदानंद दास, नागा कृष्णकुमार दास, महंत रामशरण दास रामायणी, महंत सीताराम दास, महंत महेश दास, महंत रामानुज शरण, महंत रामेश्वर दास, महंत धर्मदास, स्वामी गयाशरण, महंत किशाेरी शरण, महंत अवधकिशाेर शरण, महंत रामलाेचन शरण, महंत प्रियाशरण, महंत प्रियाप्रीतम शरण, पूर्व पार्षद पुजारी रमेश दास, महंत रामकिशोर दास आदि संत-महंत व मंदिर से जुड़े शिष्य-अनुयायी, परिकर रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय

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