माइनर के पानी से नाले का ओवरफ्लो, अन्नदाता तबाह
सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न, किसानों में भारी आक्रोश
औरैया, 22 दिसंबर (हि. स.)। उत्तर प्रदेश के औरैया जनपद में अजीतमल तहसील क्षेत्र के महेवा–भदसान–बिलावा माइनर में छोड़े गए पानी और उससे जुड़े नाले के ओवरफ्लो ने तहसील क्षेत्र के किसानों की कमर तोड़ दी है। भदसान से मिश्रीपुर तक जाने वाले नाले में अत्यधिक पानी आने से शाहपुर बेंदी, चिटकापुर, गाजीपुर, भवानी प्रसाद कश्यप नगर, डेरा बंजारन और बिलवा मौजा सहित कई गांवों के खेत जलमग्न हो गए हैं। सैकड़ों बीघा में खड़ी सरसों, गेहूं और आलू की फसलें पानी में डूबने से किसानों में भारी आक्रोश और चिंता व्याप्त है।
ग्रामीणों के अनुसार शाहपुर बेंदी में माइनर का पानी तालाब में पहुंचा, लेकिन चकसत्तापुर–हैदलपुर की ओर जलनिकासी बाधित होने के कारण पानी आगे नहीं निकल सका। तालाब ओवरफ्लो होते ही भदसान से मिश्रीपुर तक जाने वाला नाला भी भर गया और पानी आसपास के खेतों में फैल गया। लगातार दो–तीन दिनों तक पानी आने से हालात भयावह हो गए। मजबूरन किसान रात–रात भर फावड़ा लेकर पानी निकालने में जुटे रहे, लेकिन तब तक फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी थीं।
इस आपदा से शाहपुर बेंदी गांव के किसान श्रीकृष्ण शर्मा, रामचंद्र, संजू, अमित कुमार, वेद प्रकाश शर्मा, प्रमोद, जैसीराम, दीपक कुमार, छोटे खान, संजू तिवारी समेत अनेक किसानों की फसलें प्रभावित हुई हैं। किसानों का कहना है कि यह समस्या कोई नई नहीं है। वर्षों से भदसान–मिश्रीपुर नाले की सफाई और जलनिकासी की अनदेखी के चलते हर साल खेत जलमग्न होते हैं, लेकिन आज तक कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया।
इस संबंध में सिंचाई विभाग के एक्सईएन संजय ने बताया कि यह मामला भोगनीपुर प्रखंड की निचली गंग नहर से जुड़े माइनर का है, जिसका कार्यालय इटावा में स्थित है। किसानों के हित में संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर समस्या के समाधान का प्रयास किया जा रहा है। सिंचाई पर्यवेक्षक शशिकांत चतुर्वेदी ने कहा कि सूचना मिलते ही इटावा कार्यालय से बात की गई है और तत्काल प्रभाव से माइनर में छोड़े गए पानी को रुकवाया जाएगा। वहीं जूनियर इंजीनियर ब्रजभान कुमार ने बताया कि फिलहाल नहर के गेट बंद कर पानी रोका गया है तथा यह स्पष्ट किया जाएगा कि मामला नाले का है या माइनर का, ताकि उसी के अनुसार स्थायी समाधान किया जा सके। खबर लिखे जाने तक कई स्थानों पर पानी का बहाव जारी था।
किसानों की जुबानी दर्द
नानक चंद ने बताया, “मेरी कई बीघा सरसों और गेहूं की फसल पूरी तरह डूब गई है। मेहनत, खाद और बीज सब बर्बाद हो गया। हर साल यही हाल होता है, लेकिन समाधान नहीं निकलता।”
कृष्ण कुमार ने कहा, “खेतों में पानी भरने से आलू की फसल सड़ने लगी है। अगर जल्द पानी नहीं निकला तो पूरे गांव की खेती चौपट हो जाएगी।”
लल्ला सिंह ने आक्रोश जताते हुए कहा, “भदसान से मिश्रीपुर तक नाला जाम पड़ा है, लेकिन जिम्मेदार आंख मूंदे बैठे हैं। फसल नष्ट होने के बाद ही अधिकारी आते हैं।”
वीरेंद्र सिंह बोले, “रात–रात भर खेतों में पानी रोकने की कोशिश की, लेकिन बहाव इतना तेज था कि कुछ नहीं कर सके।”
महेंद्र सिंह ने कहा, “यह समस्या वर्षों पुरानी है। अस्थायी इंतजाम कर छोड़ दिया जाता है, जब तक नाले की पूरी सफाई नहीं होगी, तब तक हर साल फसल डूबती रहेगी।”
सफीक खान ने बताया, “मेरी पूरी खेती जलमग्न हो गई है। अब परिवार के खर्च और बच्चों की पढ़ाई की चिंता सताने लगी है।”
कमलेश कुमार ने मांग की कि “सरकार को नुकसान का मुआवजा देना चाहिए और लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए।”
कुल मिलाकर भदसान से मिश्रीपुर तक नाले के ओवरफ्लो और माइनर की अव्यवस्था ने अन्नदाताओं को तबाही के कगार पर ला खड़ा किया है। अब किसानों की निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं कि उन्हें सिर्फ आश्वासन मिलेगा या इस समस्या का स्थायी समाधान भी।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील कुमार

