जहां चाह वहां राह, सूरज की गर्मी को कर दिया धीमा
औरैया, 01 जून (हि. स.)। एक ओर तो जहां नौ तपा से पूरा देश सुलग रहा है वहीं दूसरी और इटावा शहर के मध्य में कंक्रीट की इमारतों के बीच जिला पंचायत की बिल्डिंग में चल रहे। चार शैय्या नगर आयुर्वेदिक चिकित्सालय के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ कमल कुमार कुशवाहा के निर्देशन में एक दशक पहले से कूड़े के ढेर में तब्दील हो चुके परिसर को चिकित्सालय के कर्मचारी सुशील कुमार, शैलेंद्र सिंह के अथक प्रयास से चरक उद्यान में तब्दील कर दिया गया है।
चिकित्सालय के कर्मचारी सुशील कुमार के अथक प्रयास से दो साल पहले पूरे कूड़े को साफ किया गया। ईट, पत्थर के मलबे को साफ किया गया। उसके बाद विभाग के सहयोग से एवं व्यक्तिगत प्रयासों से पौधरोपण का कार्य किया गया शुरुआत में फूल वाले पौधे लगाकर परीक्षण किया गया तो क्षेत्र फूलो से भर गया। उसके बाद मौसमी सब्जियां, फलदार एवं औषधीय पौधे लगाकर परीक्षण किया गया। प्रतिदिन बच्चों की तरह देखभाल से पौधे एक साल में ही विकसित हो गए। अब इस छोटे से उद्यान में मसालों में काम आने वाला मीठा नीम , फलों में अमरूद, निबू, सब्जियों में प्रयोग करने बाला सहजन, औषधियों में प्रयोग किया जाने वाला आमला, अनार, उदुंबर, जामुन, क्षारसूत्र में प्रयोग किया जाने बाला स्नूही, अरुचि में प्रयोग होने वाले भांग, फूलदार पौधों में सदाबहार , बेलदार सब्जियों में कद्दू, तोरई, फूट लगी हुई है। इसका फायदा न केवल इंसानों को होता है अपितु शहर में रहने वाले बंदरों को भी भोजन और छाव उपलब्ध हो जाती है।
जिला पंचायत के कर्मचारी सुरेंद्र यादव बताते है कि में यहां 1994 से हूं, इतनी साफ सफाई और पेड़ो की छाव कभी भी न मिली, ये मन को प्रसन्न करने बाली है। बिना ऐसी और बिना कूलर के तन और आंखों को सुकून देने बाली ठंडक कभी नहीं मिली।
चिकित्सालय के प्रभारी डॉ कमल कुमार कुशवाहा बताते है कि आज जब पूरी पृथ्वी का तापमान 55 डिग्री तक पहुंच रहा है ऐसे में भी हम लोग बिना ऐसी और बिना कूलर के आराम से रह रहे है उसकी बजह कहीं न कहीं ये पौधे ही है बाहर का तापमान जब 45 डिग्री होता है तो इस परिसर का तापमान 35 डिग्री होता है। इस प्रकार के छोटे छोटे प्रयोग हम सभी लोगों को अपने अपने घरों में करने चाहिए। घरों के बाहर पड़ी खाली जगह का प्रयोग पेड़ लगाने में यह सोचकर करना चाहिए कि फल नहीं तो छाव, हमें नहीं तो पशु पक्षियों को, किसी न किसी को तो लाभ मिलेगा। जिस दिन ये सोच हम लोगों ने विकसित करके एक एक पेड़ चाहे वो फल या फूल का ही क्यू न हो अपने घर में रखना शुरू कर दिया निश्चित रूप से हम सूरज की गर्मी को कुछ कम करने में सफल हो जाएंगे। एक छोटे से प्रयास से पूरी पृथ्वी स्वर्ग बन सकती है। जल्दी ही हम लोग आयुर्वेदिक फ्रिज पर भी काम कर रहे है। जो बिना बिजली के पानी को ठंडा करेगा। इसका परीक्षण अंतिम चरण में है।
हिन्दुस्थान समाचार / सुनील /बृजनंदन
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