इंद्र देव की भारी बरसात के प्रलय से कनिष्ठा उंगली पर भगवान ने गोवर्धन पर्वत को उठाया
औरैया, 28 मई (हि.स.)। अछल्दा कस्बा के रेलवे फाटक के पास चल रही श्रीमद्भागवत कथा में पांचवें दिन कथावाचक संत आचार्य महेश चंद्र पाण्डेय ने गोवर्धन लीला के साथ भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का प्रसंग सुनाया। श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण के नामकरण और पूतना वध के साथ माखनचोरी की लीलाओं का वर्णन सुनकर मंत्रमुग्ध हो गए।
कथावाचक आचार्य महेश चंद्र महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं से जहां कंस के भेजे विभिन्न राक्षसों का संहार किया, वहीं ब्रज के लोगों को आनंद प्रदान किया। कथा के दौरान भगवान गिरिराज पर्वत को उठाते हुए सुंदर झांकी सजाई गई। इस दौरान भजनों पर श्रद्धालु देर तक झूमते-नाचते रहे। प्रसंग में बताया गया कि इंद्र देव को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका गर्व दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रज मंडल पर भारी बरसात कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ। इस दौरान भक्तों द्वारा 56 भोग लगाएं गए। लोगों को प्रसाद वितरण किया गया। अनुरुद्ध पांडेय ने कथा वाचक को पगड़ी, माला, शील्ड दिया।
इस मौके पर परीक्षित सुरेश कौशल, विष्णु, नारायण तिवारी, अखिलेश शर्मा, मुकेश गुप्ता, राजकुमार तिवारी, आशू कठेरिया आदि लोग है।
हिन्दुस्थान समाचार/सुनील /मोहित
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