श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह हुआ

श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह हुआ
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श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह हुआ
















औरैया, 04 अप्रैल (हि. स.)। फफूंद नगर में स्थित महावीरधाम मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन गुरुवार को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया गया। कथावाचक आचार्य सत्य किशोर पांडये ने भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रास लीला का वर्णन करते हुए बताया कि रास तो जीव का शिव के मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है।

इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्व सामर्थ्य के साथ आक्रमण किया है लेकिन वह भगवान को पराजित नही कर पाया उसे ही परास्त होना पड़ा है । रास लीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है । गोपी गीत पर बोलते हुए व्यास ने कहा जब तब जीव में अभिमान आता है भगवान उनसे दूर हो जाता है लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है उसे दर्शन देते है।

भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ लेकिन रुक्मणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक नही तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत ही प्राप्त हो जाती है।श्रीकृष्ण भगवान व रुक्मणि के अतिरिक्त अन्य विवाहों का भी वर्णन किया गया। भागवत कथा में बड़ी संख्या में महिला और पुरुष कथा सुनने पहुँचे।

हिन्दुस्थान समाचार / सुनील /बृजनंदन

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