ज्योतिष शास्त्र को व्यापार नहीं बनाना चाहिए : लक्ष्मी नारायण चौधरी

ज्योतिष शास्त्र को व्यापार नहीं बनाना चाहिए : लक्ष्मी नारायण चौधरी
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ज्योतिष शास्त्र को व्यापार नहीं बनाना चाहिए : लक्ष्मी नारायण चौधरी


-पंचांग निर्माण संस्कृत विश्वविद्यालयों के ज्योतिष विभाग का उत्तरदायित्व

लखनऊ, 26 फरवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश सरकार के गन्ना विकास एवं चीनी मिलों के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि ज्योतिष शास्त्र को व्यापार नहीं बनाना चाहिए। ज्योतिष का सम्बन्ध जबतक कर्मकाण्ड और धर्म से नहीं होगा तब तक वह पूर्ण रूप से प्रभावी नहीं होगा। वह सोमवार को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।

तीसरे दिन भी शोधकर्ताओं के द्वारा पंचांग की एकरूपता पर बल दिया गया और इसके अतिरिक्त हृदयरोग, जात कर्म पद्धति, ज्योतिष और आयुर्वेद, रोग विचार, उदर रोग विचार और विवाह विचार आदि विषयों पर शोधपत्र प्रस्तुत किये गये।

विशिष्ट अतिथि के रूप में न्यायमूर्ति आर. एन. पाण्डेय ने कहा कि जो पिण्ड में है वही ब्रह्माण्ड में है।

सारस्वत अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रोेफेसर प्रेम कुमार शर्मा ने कहा कि सूर्य सिद्धान्त में बीज संस्कार करते हुये ग्रहों की अद्यतन स्थिति लानी चाहिये, जिससे फलादेश में सूक्ष्मता होगी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करे हुए ज्योतिष विभाग के वरिष्ठ आचार्य, डीन और परिसर निदेशक प्रोफेसर सर्वनारायण झा ने कहा कि पंचांग निर्माण एक व्यापार नहीं है। यह समाज के प्रति संस्कृत विश्वविद्यालयों के ज्योतिष विभाग का उत्तरदायित्व है। तिथि नक्षत्र आदि की गणना जो ग्रहों पर आधारित है, उसमें त्रुटि होने पर अनुपयुक्त समय में आम जनता व्रत, पर्व, त्योहार और पितृ कर्म आदि करेंगे, जिसका अधर्म पंचांग बनाने वालों को होगा। क्योंकि श्रद्धालु धर्मान्ध जनता तो पंचांग देखती है। पंचाग बनाने वाले शुद्ध बनाते हैं या अशुद्ध इसका विचार आम जनता नहीं करती है। इसलिए ज्योतिषियों को अपने कर्तव्य का निर्वाह निष्ठापूर्वक करना चाहिए। जहां तक फालदेश का प्रश्न है, शुद्ध पंचांग के द्वारा ही सही फलादेश किया जा सकता है। पंचांग निर्माण व्यापार नहीं है और ज्योतिष का फलादेश भी व्यापार नहीं है। यह दिव्यज्ञान है इसलिए इसे व्यापारिक स्वरूप देने पर फलादेश में अशुद्धि की संभावना रहती है।

इस अवसर पर प्रोफेसर मदनमोहन पाठक, प्रोफेसर भारत भूषण त्रिपाठी, प्रोफेसर धनीन्द्र कुमार झा, प्रोफेसर पवन कुमार, प्रोफेसर गुरुचरण सिंह नेगी, डाॅ. हरिनारायणधर द्विवेदी, डाॅ. कविता बिसारिया, डाॅ. चन्द्रश्री पाण्डेय आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/दिलीप

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