उन्नत ऑक्सीकरण प्रक्रिया से शोधित हो रहा अस्सी नाला,सीवर मुक्त गंगा का संकल्प हो रहा साकार
वाराणसी,07 अप्रैल (हि.स.)। काशी में दशकों के इंतजार के बाद नमामि गंगे परियोजना के तहत अस्सी नाले का संपूर्ण मल जल सीधे गंगा में न जाए, इस ओर नई उम्मीद जगी है। अब अस्सी नाले के 50 एमएलडी सीवर को नगवा पंपिंग स्टेशन से रमना सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भेजा जा रहा है। वहीं, अस्सी नाले के बचे हुए 30 एमएलडी सीवर को उन्नत ऑक्सीकरण प्रक्रिया के द्वारा शोधित किया जा रहा है। अभी यह प्रक्रिया ट्रायल के रूप में शुरू हुई है।
संत रविदास घाट के बगल में स्थित नगवा पंपिंग स्टेशन पर रविवार को पहुंची नमामि गंगे टीम को यह जानकारी उपलब्ध हुई। नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला और उनकी टीम ने अस्सी नाले के 30 एमएलडी सीवर की शोधन प्रक्रिया को देखा।
गौरतलब हो कि उन्नत ऑक्सीकरण प्रक्रिया (एडवांस्ड ऑक्सीडेशन प्रोसेस) के जल उपचार के क्षेत्र में कई फायदे हैं। इस नई तकनीक से अब खराब और गंदे पानी को भी पीने के लायक बनाया जा सकेगा। यूवी-फोटोकैटलिसिस पर आधारित यह तकनीक नगर निगम के सीवेज और औद्योगिकी इकाइयों से निकलने वाले अत्यधिक प्रदूषित खराब पानी का भी ट्रीटमेंट कर सकती है।
राजेश शुक्ला ने बताया कि भारत की शाश्वत पहचान आस्था और आजीविका मां गंगा के लिए नमामि गंगे परियोजना के तहत किया जा रहा कार्य संजीवनी साबित हो रहा है। काशी के सांसद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में गंगा निर्मलीकरण के लक्ष्य को साकार करने के लिए नमामि गंगे परियोजना कृत संकल्पित है। इस दौरान इंजीनियर आशुतोष सिंह व आपरेटर प्रशांत सिंह भी मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/मोहित
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