आशीष करंदीकर के आभारी हैं जो उन्हें पूर्व छात्रों की एक विशिष्ट विरासत का बनाता है हिस्सा : प्रो. एस. गणेश
कानपुर, 10 ल (हि.स.)। हम इस दयालुता के लिए आशीष करंदीकर के आभारी हैं जो उन्हें पूर्व छात्रों की एक विशिष्ट विरासत का हिस्सा बनाता है उन्होंने संस्थान में उदारतापूर्वक योगदान दिया है। यह बातें भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान कानपुर के निदेशक प्रोफेसर एस.गणेश ने संस्थान के पूर्व छात्र आशीष करंदीकर की ओर से अपने अल्मा मेटर को दो लाख अमेरिकी डॉलर का दान दिए जाने के अवसर पर कही।
प्रोफेसर गणेश ने कहा कि इन संपन्न कार्यक्रमों की स्थापना से हमारे संकाय, शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए समान रूप से विकास के नए रास्ते खुलेंगे। संस्थान में समृद्ध अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र में भी योगदान मिलेगा।
आईआईटी के जनसंपर्क अधिकारी भाविशा उपाध्याय ने बताया कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के पूर्व छात्र आशीष करंदीकर ने अमेरिका में स्थापित हैं। वह अपने अल्मा मेटर को 200,000 अमेरिकी डॉलर का दान दिए हैं। यह राशि एक करोड़ 60 लाख के बराबर है। इसका उद्देश्य आईआईटी कानपुर में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के भीतर नवाचार, उत्कृष्टता और शैक्षणिक विकास को बढ़ावा देने के लिए तीन संपन्न कार्यक्रम स्थापित करना है।
उन्होंंने बताया कि श्री करंदीकर आईआईटी कानपुर और आईआईटी कानपुर फाउंडेशन, यूएसए के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करके ये कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। श्री करंदीकर (बीटी/ईई/1995) भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, आईआईटी कानपुर के पूर्व निदेशक और पूर्व छात्र डॉ. अभय करंदीकर के भाई हैं।
तीन कार्यक्रमों में शामिल हैं, श्रीमती लता और के.जी. करंदीकर फैकल्टी चेयर, जिसे आईआईटी कानपुर फैकल्टी को प्रदान किया, जो उन्हें अभूतपूर्व अनुसंधान चलाने और इंजीनियरों की भावी पीढ़ियों को सलाह देने के लिए सशक्त बनाता है। करंदीकर सर्वश्रेष्ठ पीएच.डी. थीसिस पुरस्कार, असाधारण डॉक्टरेट थीसिस को मान्यता देने और डॉक्टरेट उम्मीदवारों के बीच नवाचार और अकादमिक कठोरता को प्रोत्साहित करने वाले उत्कृष्ट विद्वानों के योगदान को मान्यता देता है। करंदीकर छात्र छात्रवृत्ति, जिसका उद्देश्य छात्रों का पोषण और समर्थन करना, उन्हें उनके शैक्षणिक प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देना है।
एनवीआईडीआईए NVIDIA के उपाध्यक्ष आशीष करंदीकर ने कहा “मैं मूल रूप से मानता हूं कि शिक्षा में जीवन बदलने की शक्ति है। इसने निश्चित रूप से मुझे भी बदला है और आईआईटी शिक्षा ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग मेरा जुनून है और हम दोनों, अभय और मैं, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग और आईआईटी में योगदान करना चाहते थे। इस तरह से योगदान करने के अवसर के लिए आभारी हैं।
आशीष करंदीकर के भाई डॉ. अभय करंदीकर (एमटी, पीएचडी,ईई,1988,1995) ने कहा “इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग वर्तमान में संस्थान के सबसे बड़े विभागों में से एक है और बड़ी संख्या में संकाय सदस्य असाधारण काम कर रहे हैं। हमारा मानना है कि एक फैकल्टी चेयर स्थापित करने से आशाजनक अनुसंधान परिदृश्य में और अधिक योगदान देने में मदद मिलेगी। मुझे उम्मीद है कि यह पूर्व छात्रों को अन्य विभागों में भी पुरस्कार स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। स्नातक छात्रों के लिए छात्रवृत्ति एक ऐसी चीज़ है जिसके बारे में आशीष को वास्तव में दृढ़ता से महसूस हुआ।
आईआईटी कानपुर के डीन ऑफ रिसोर्सेज एंड एलुमनी प्रोफेसर कांतेश बलानी ने कहा आशीष करंदीकर के इस तरह के उदार समर्थन की सराहना की जाती है। इन पुरस्कारों की स्थापना से प्रभावशाली परिणाम देखने को मिलेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/दिलीप
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।