संगम की रेती पर तपस्वी संतों की धुना तपस्या शुरू
प्रयागराज, 14 फरवरी (हि.स.)। तपस्वी संतों की सबसे कठिन धुना तपस्या बसंत पंचमी बुधवार से संगम की रेती पर शुरू हो गई है। यह तपस्या गंगा दशहरा तक चलेगी। माघ मेला में आये 500 तपस्वी संतों ने धुना तपस्या शुरू कर दिया है। तपस्या करने वालों में आठ वर्ष के बाल संत से लेकर सभी उम्र के संत, महात्मा धुना तपस्या करते हैं।
माघ मेला में महावीर मार्ग के दायीं तरफ लगे तपस्वी नगर में महामंडलेश्वर स्वामी रामसंतोष दास महाराज, गोपाल महाराज, लाल बाबा, भगवतदास महाराज, तुलसीदास महाराज सहित बड़ी संख्या में संत धुना तपस्या में लगे हुए हैं। महावीर मार्ग के बायीं तरफ नर्मदा खण्ड जबलपुर का शिविर लगा है। जिसमें महामंडलेश्वर रामदास टाटाम्बरी महाराज, ध्रुवदास महाराज सहित बड़ी संख्या में संत एवं अक्षयवट मार्ग पर राजस्थान के बीकानेर के राष्ट्रीय संत महामण्डलेश्वर सरयू दास महाराज के शिविर में धुना तपस्या चल रही है।
तपस्वी नगर के स्वामी गोपाल महाराज ने बताया कि धुना तपस्या प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी से शुरू होकर गंगा दशहरा तक चलती है। गर्मी के दौरान अप्रैल से जून तक तपस्या सबसे कठिन होती है। क्योंकि उस दौरान भीषण गर्मी पड़ती है। यह तपस्या सुबह से शुरू होकर शाम तक यानी दिन में कम से कम आठ घण्टे होती है। उन्होंने बताया कि अगर किसी संत की तबियत तपस्या के दौरान खराब होती है या कोई दिक्कत है तो वह अपनी सुविधानुसार तपस्या कर सकता है, लेकिन धुना तपस्या सभी को करनी होती है।
तपस्वी नगर के सबसे वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी रामसंतोष दास महराज ने बताया कि यह प्राचीन तपस्या की परम्परा है। जिसे हमारे ऋषि-मुनि करते थे। उसी परम्परा का निर्वहन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरी उम्र लगभग 70 वर्ष है लेकिन अभी भी धुना तपस्या बसंत पंचमी से गंगा दशहरा तक करता हूं। नर्मदा खण्ड जबलपुर के स्वामी ध्रुवदास महराज ने बताया कि यह तपस्या हम लोग बचपन से करते आ रहे है। इससे जहां ऊर्जा मिलती है वहीं ईश्वर का भी ध्यान और पूजन होता है। राजस्थान के बीकानेर के महामण्डलेश्वर सरयूदास महाराज ने कहा कि धुना तपस्या सबसे कठिन साधना है लेकिन हम सभी संत उत्साह से करते हैं। इस साधना से जहां संत, महात्मा अक्षय उर्जा एकत्र करते है वहीं ईश्वर में मन और ध्यान लगाने का सबसे अच्छा समय होता है।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/बृजनंदन
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