दर्शकों को आत्मचिंतन की अनुभूति कराती हैं कलाकार की कृतियां: स्वान्त रंजन

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दर्शकों को आत्मचिंतन की अनुभूति कराती हैं कलाकार की कृतियां: स्वान्त रंजन


लखनऊ, 15 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश सरकार कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। राज्य ललित कला अकादमी, उत्तर प्रदेश द्वारा हरि दर्शन सांख्य की हिमालय की आध्यात्मिक अनुभूति पर आधारित एकल चित्र प्रदर्शनी “हिमालय - आध्यात्मिक मौन की पवित्र अनुभूति” का शुभारंभ सोमवार को लाल बारादरी भवन परिसर, लखनऊ में किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख रंजन ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि स्वांत रंजन ने अपने संबोधन में कहा कि यह प्रदर्शनी हिमालय की आध्यात्मिक यात्रा का सशक्त कलात्मक रूप है और कलाकार हरि दर्शन सांख्य का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने कहा कि कलाकार की कृतियां दर्शकों को आत्मचिंतन और शांति की अनुभूति कराती हैं।

अध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने प्रदर्शनी को कलाकारों एवं विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत बताया। अकादमी के उपाध्यक्ष गिरीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि प्रदर्शनी देखकर लगता है कि हम हिमालय की यात्रा कर रहे हैं जबकि अकादमी के निदेशक अमित कुमार अग्निहोत्री ने कहा कि यह प्रदर्शनी प्रकृति और आत्मचिंतन के बीच एक सार्थक कलात्मक संवाद प्रस्तुत करती है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता अकादमी के अध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने की। अकादमी के उपाध्यक्ष गिरीश चन्द्र मिश्र ने कलाकारों, अतिथियों एवं कला प्रेमियों का स्वागत किया। यह प्रदर्शनी राज्य ललित कला अकादमी, उ.प्र. की कला प्रदर्शनी योजना के अंतर्गत आयोजित की गई है, जिसमें मिर्ज़ापुर निवासी कलाकार हरि दर्शन सांख्य की चयनित कृतियां प्रदर्शित की गई हैं। उनकी कृतियां लगभग दो वर्षों की हिमालयीय यात्रा और साधना का परिणाम हैं, जिनमें रंग, प्रकृति और भारतीय दर्शन का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है। उद्घाटन समारोह में बड़ी संख्या में कला विद्यार्थी, मीडिया प्रतिनिधि एवं कला प्रेमी उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन

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