मशरूम की प्रजातियों को भिन्न-भिन्न ऋतुओं में उगा कर अधिक लाभ कमा सकते हैं किसान: डॉ.निमिषा अवस्थी

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मशरूम की प्रजातियों को भिन्न-भिन्न ऋतुओं में उगा कर अधिक लाभ कमा सकते हैं किसान: डॉ.निमिषा अवस्थी


कानपुर,28 अगस्त (हि.स.)। विभिन्न कृषि फसलों को मौसम की अनुकूलता के अनुसार भिन्न–भिन्न ऋतुओं में उगाया जाता है। इसी प्रकार विभिन्न प्रकार की मशरूम की प्रजातियों के क्रम में हेर–फेर करके किसान भाई पूरे वर्ष मशरूम उत्पादन कर सकते हैं। इससे किसान भाइयों की आय में वृद्धि होगी। यह बात बुधवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर में आयोजित दो दिवसीय मशरूम उत्पादन तकनीकी प्रशिक्षण में गृह वैज्ञानिक डॉक्टर निमिषा अवस्थी ने कही।

उन्होंने कहा कि मशरूम का उपयोग भोजन व औषधि के रूप में किया जाता है। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवण और विटामिन जैसे उच्च स्तरीय खाद्य मूल्यों के कारण मशरूम सम्पूर्ण विश्व में अपना एक विशेष महत्व रखता है। कुछ वर्षों में किसानों का रुझान मशरूम की खेती की तरफ तेजी से बढ़ा है, मशरूम की खेती बेहतर आमदनी का जरिया बन सकती है। अलग-अलग राज्यों में किसान मशरूम की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, कम जगह और कम समय के साथ ही इसकी खेती में लागत भी बहुत कम लगती है, जबकि मुनाफा लागत से कई गुना ज्यादा मिल जाता है।

इसी क्रम में बुधवार को कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर कानपुर देहात द्वारा दो दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ ग्राम गोपाल नगर विकासखंड रसूलाबाद में किया गया। कार्यक्रम में बोलते हुए गृह वैज्ञानिक डॉ निमिषा अवस्थी ने कहा कि जिस प्रकार विभिन्न कृषि फसलों को मौसम की अनुकूलता के अनुसार भिन्न–भिन्न ऋतुओं में उगाया जाता है। इसी प्रकार विभिन्न प्रकार की मशरूम की प्रजातियों के क्रम में हेर–फेर करके किसान भाई पूरे वर्ष मशरूम उत्पादन कर सकते हैं। उत्तरी भारत में मौसमी मशरूम उत्पादक पहले केवल श्वेत बटन मशरूम की एक फसल लेने के बाद अपने उत्पादन कार्य को बंद कर देते थे तथा गर्मियों में तापमान में वृद्धि के कारण वर्ष भर मशरूम उत्पादन कार्य जारी नहीं रख पाते हैं। कुछ मशरूम उत्पादक ढींगरी मशरूम के एक–दो फसलें लेने का प्रयास करते हैं। यदि मशरूम उत्पादक दूधिया मशरूम को वर्तमान फसल चक्र में शामिल कर लें तो अपने मशरूम उत्पादन काल को बढ़ा सकते हैं तथा वर्ष भर मशरूम उत्पादन करके स्वरोजगार प्राप्त कर सकते हैं।

सीएसए के मीडिया प्रभारी डॉ खलील खान ने बताया उत्तर भारत के मैदानी भागों में श्वेत बटन मशरूम को शरद ऋतु में अक्टूबर से फरवरी तक, ग्रीष्मकालीन श्वेत बटन मशरूम को सितंबर से नवंबर व फ़रवरी से अप्रैल तक ढींगरी का उत्पादन किया जा सकता है।

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए डॉ राजेश राय ने कहा कि भारत जैसे विकासशील देश की पोषण सुरक्षा हेतु दैनिक आहार में मशरूम को सम्मिलित करना अति आवश्यक है। कार्यक्रम में सहयोगी ग्राम विकास संस्थान के बदन सिंह, के साथ गोपालपुर के 35 से अधिक महिला पुरुष कृषकों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में ढिंगरी मशरूम उत्पादन का विधि प्रदर्शन भी किया गया। कार्यक्रम में शुभम यादव ने सहयोग किया।

हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल

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