मशरूम के पोषणीय महत्व के अलावा उत्पादन बहुत लाभकारी उद्यम : डा. पी के उपाध्याय
कानपुर, 21 जनवरी (हि.स.)। मशरूम के पोषणीय महत्व के अलावा मशरूम का उत्पादन एक बहुत ही लाभकारी उद्यम है। मशरूम उत्पादन हेतु न्यूनतम भूमि आकार की आवश्यकता होती है। मशरूम जैविक खाद का एक मूल्यवान स्रोत है। यह बात रविवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के पादप रोग विज्ञान विभाग के मशरूम शोध एवं विकास केंद्र में चल रहे छह दिवसीय मशरूम प्रशिक्षण कार्यक्रम समापन के मौके पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ.पी.के.उपाध्याय ने कही।
उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन हेतु न्यूनतम भूमि आकार की आवश्यकता होती है। मशरूम जैविक खाद का एक मूल्यवान स्रोत है।जो बागवानी फसल उत्पादन में उपयोग किया जाता है। मशरूम की खेती विविधता को स्थिरता प्रदान करने और आय बढ़ाने की दृष्टि से लाभकारी है। मशरूम एक पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक एवं औषधीय गुणों से युक्त रोग रोधक सुपाच्य खाद्य पदार्थ है। मशरूम में उपस्थित पोषक तत्व मानव शरीर के निर्माण, पुनः निर्माण एवं वृद्धि के लिए आवश्यक है।
नोडल अधिकारी डॉ एस के विश्वास ने उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि मशरूम की खेती कर उद्यम अपना कर आत्मनिर्भर बने। इस अवसर पर डॉक्टर विश्वास ने कहा कि मशरूम की खेती कर महिलाएं, बेरोजगार युवक-युवतियों, प्रवासी श्रमिकों के लिए बेरोजगारी दूर करने के लिए उत्तम साधन है। डॉ एसके विश्वास ने छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम पर हुए विभिन्न व्याख्यानों एवं प्रयोगात्मक प्रशिक्षण के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ खलील खान ने बताया कि मशरूम शोध एवं विकास केंद्र में चल रहे छह दिवसीय (15 जनवरी से 20 जनवरी 2024 तक) मशरूम प्रशिक्षण का समापन हुआ। इस प्रशिक्षण के समापन अवसर मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. पी के उपाध्याय ने सभी प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके अभ्यर्थियों को प्रमाण पत्र दिए। इसके बाद सभी प्रतिभागियों ने परिसर में पौधरोपण किया।
हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/मोहित
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