मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ काशी में उबाल, महिलाओं ने फूंका पुतला

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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ काशी में उबाल, महिलाओं ने फूंका पुतला


—लगाया 'मुर्शिदाबाद बचाओ, देश बचाओ' का नारा

वाराणसी, 14 अप्रैल (हि.स.)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ जनाक्रोश अब काशी तक पहुंच गया है। सोमवार को वाराणसी के लमही स्थित सुभाष मंदिर परिसर में एकत्रित महिलाओं ने मुर्शिदाबाद में वक्फ बिल के विरोध के नाम पर हिन्दू समुदाय पर हुए अत्याचारों के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पुतला फूंका और ‘मुर्शिदाबाद बचाओ, देश बचाओ’ जैसे नारे लगाते हुए केंद्र सरकार से ममता सरकार को बर्खास्त करने और मुख्यमंत्री के गिरफ्तारी की मांग की।

प्रदर्शन में शामिल विशाल भारत संस्थान के अध्यक्ष डॉ राजीव ने कहा कि पश्चिम बंगाल हिन्दुओं के लिए असुरक्षित हो गया है। किसी न किसी बहाने हिन्दुओं को खुलेआम मारा जा रहा है। उनको भगाकर उनकी जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है। हिन्दू महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहे हैं। हिन्दू घरों को छोड़कर पलायन कर रहे हैं। अपने ही देश में हिन्दू इस्लामी जिहाद का शिकार हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि अरबी, तुर्की, मुगल और अब बांग्लादेशी मुसलमान हिन्दुओं पर अत्याचार कर रहे हैं। इन पर तभी लगाम लगेगी, जब बेलगाम ममता जैसी नेताओं को जेल भेजा जाएगा।

प्रदर्शन के दौरान अन्य वक्ताओं ने आरोप लगाया कि मुर्शिदाबाद में वक्फ सम्पत्ति से जुड़े विवाद के नाम पर कथित बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा हिन्दुओं के घर जलाए गए, महिलाओं के साथ अभद्रता हुई और हिंसा का भयावह रूप सामने आया। उन्होंने कहा कि एक तरफ देश भारत के संविधान निर्माता का जन्म जयंती मना रहा है और दूसरी ओर पश्चिम बंगाल सरकार की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुलेआम संविधान की धज्जी उड़ा रही हैं। खुलेआम हिंसा को ममता बनर्जी सरकार का समर्थन हासिल है।

मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाज़नीन अंसारी ने कहा, पश्चिम बंगाल हिन्दुओं के मानवाधिकार हनन का केन्द्र बन गया है। हिन्दुओं की चीख पूरी दुनिया को सुनाई नहीं दे रही है। प्रदर्शन में डॉ. मृदुला जायसवाल, सरोज देवी, अमित राजभर, खुशी रमन भारतवंशी, इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, अनिता जायसवाल, सुनीता श्रीवास्तव, गीता, उर्मिला सहित अनेक महिलाएं मौजूद रहीं।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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