नीम आंवला और तुलसी का करें संवर्धन : योगेन्द्र उपाध्याय

नीम आंवला और तुलसी का करें संवर्धन : योगेन्द्र उपाध्याय
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नीम आंवला और तुलसी का करें संवर्धन : योगेन्द्र उपाध्याय


कानपुर, 02 दिसम्बर (हि.स.)। पेड़ पौधों का सदैव महत्व रहा है और आज भी है, लेकिन इनको संवर्धन करने की जरुरत है। खासकर नीम, आंवला और तुलसी का संवर्धन हिन्दू धर्म से जोड़कर करना चाहिये। इससे यह पेड़ लोगों को लाभकारी सिद्ध होंगे। यह बातें शनिवार को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कही।

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली एवं दीन दयाल शोध केंद्र छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में भारतीय इतिहास में आर्थिक दृष्टिकोण, कृषि, पशुपालन एवं वाणिज्य विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का उदघाटन उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षामंत्री योगेंद्र उपाध्याय, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो.देवी प्रताप सिंह ने किया।

इस मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षामंत्री डॉ योगेंद्र उपाध्याय ने भारतीय कृषि संस्कृति को अवगत कराते हुये विभिन्न महापुरुषों के द्वारा किये गये कार्यों को बताया। साथ ही भारतीय सांस्कृतिक क्षेत्रों में किये जा रहे अनुसंधानों की भी चर्चा की।

उन्होंने वनस्पतियों के महत्व को बताते हुये पीपल, नीम, आवंला एवं तुलसी को हिन्दू धर्म से जोड़कर इसके संवर्धन एवं संरक्षण को करने को कहा। विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो सुधीर कुमार अवस्थी ने इतिहास के विकास को बताते हुए कानपुर क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों के इतिहास को बताया। साथ ही उन्होंने कृषि के क्षेत्र में क्रमिक रूप से परंपरागत एवं आधुनिक विकास को विज्ञान से जोड़कर इसके महत्व को स्पष्ट किया।

अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो.रजनीश शुक्ला ने कहा कि भारतीय संस्कृति में वेदों एवं चाणक्य नीति के अंतर्गत नगरीय एवं ग्रामीण सभ्यताओं के क्रमिक विकास पर बल दिया। साथ ही भारतीय इतिहास को संकलित करने में सांस्कृतिक भाषा को ही महत्वपूर्ण बताया। जिसमें वेदों के माध्यम से कृषि, वाणिज्य एवं आर्थिक विकास पर बल दिया।

हिमांचल केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.सत्यप्रकाश बंसल ने स्वदेशी एवं विकेंद्रीकरण शब्दों के महत्व पर राष्ट्रीय स्तर पर महत्वता को स्पष्ट किया। साथ ही टीचिंग एवं लर्निंग प्रोसेस के महत्व को तीन घटकों भूमि और लोग, जीवन आदर्शों मूल्यों के महत्व को बताया। अखिल भारतीय सह संगठन सचिव संजय हर्ष मिश्रा ने भारतीय इतिहास में उत्पादन, वितरण एवं उपभोग को भारतीय परंपरागत संस्कृति से जोड़कर इसके महत्व को बताया।

इस दौरान प्रो.अनिल कुमार मिश्रा, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के महासचिव हेमंत दिंग मजूमदार, आरएसएस के प्रांत प्रचारक श्रीराम, सह प्रान्त प्रचारक रमेश, सह प्रान्त कार्यवाह भवानी सहित सैकड़ों इतिहासकार उपस्थित रहें।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/बृजनंदन

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