भाषाई समन्वय से ही हो सकता है हिन्दी का सम्वर्द्धन : डॉ० अर्जुन पांडेय
अमेठी, 21 अक्टूबर (हि.स.)। सही मायने में साहित्य समाज का दर्पण है। भाषाई समन्वय से ही हिन्दी का सम्वर्धन सम्भव है। हमें निज भाषा, निज देश पर गर्व होना चाहिए। बोली मौखिक के साथ लिपि एवं व्याकरण विहीन होती है। भाषा लिखित के साथ लिपि एवं व्याकरण युक्त होती है।
यह बातें अवधी साहित्य संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अर्जुन पाण्डेय ने बोली, भाषा एवं साहित्य पर सम्बोधित करते हुए कही। विशाखापट्टनम आन्ध्र विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग, हिन्दी विशाखा परिषद् विशाखापट्टनम एवं अवधी साहित्य संस्थान अमेठी (उप्र) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के समापन समारोह में उन्होंने कहा कि बोली का व्यापक रूप भाषा होती है। भाषा समाज को जोड़ती है। देश की तमिल, तेलगु मलयालम, कन्नड़, अवधी, बघेली, ब्रजी, भोजपुरी, छत्तीसगढ़ी एवं मैथिली आदि के मिलने से हिन्दी बनती है।
समापन समारोह में अवधी साहित्य संस्थान अमेठी की ओर से दक्षिण के जाने-माने साहित्यकारों प्रो. एस एम इकबाल सहित प्रो. एस शेषारत्नम, डॉ. के शान्ति, आरुणि त्रिवेदी, प्रो.जे विजया भारती, डॉ पी के जय लक्ष्मी, डॉ दीपा गुप्ता आदि को ’पं सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला’ सम्मान से सम्मानित किया गया।
आन्ध्र विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग एवं हिन्दी विशाखा परिषद् विशाखापट्टनम की ओर से नॉर्वे के प्रवासी साहित्यकार डॉ. सुरेशचन्द्र शुक्ल ’शरद आलोक’ सहित साहित्य भूषण प्रो. महेश ’दिवाकर’, डॉ. अर्जुन पाण्डेय, डॉ. शिवम् तिवारी, राही राज, प्रीती राज, महेश शर्मा, हरिनाथ शुक्ल ’हरि’, प्रयास जोशी, डॉ जय प्रकाश सिंह एवं डॉ संतोष गुड्डा आदि को ’डॉ कर्ण राजशेखर गिरि राव’ सम्मान से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर डॉ. सुरेश चन्द्र शुक्ल ’शरद आलोक’ की पुस्तक ’मिट्टी के देवता’ एवं डॉ.अर्जुन पाण्डेय की पुस्तक ’माटी का चंदन’ का लोकार्पण हुआ। साथ ही निबंध लेखन एवं वाक् प्रतियोगिता में प्रतिभाग किए गए विद्यार्थियों माधुरी नरबाहून सिंह, ई विकास कुमार, सीएच विधात्री सहित कुल 6 लोगों को पुरस्कृत किया गया। समापन एवं सारस्वत सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि पद्मभूषण प्रोफेसर वाई लक्ष्मी प्रसाद रहे। अध्यक्षता प्राचार्य प्रोफेसर नरसिंहराव ने की। संगोष्ठी का संचालन प्रख्यात साहित्यकार डॉ. शिवम् तिवारी ने किया। इस अवसर पर अतिथियों एवं सैकड़ों छात्र-छात्राओं के साथ साहित्यकारों का जमावड़ा रहा।
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हिन्दुस्थान समाचार / लोकेश
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