अमेठी सांसद किशोरी लाल शर्मा की गलती पड़ सकती है भारी!
अमेठी, 11 जून (हि.स.)। लोकसभा सीट अमेठी से इंडी गठबंधन में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा की जीतने के बाद अब बड़ी मुश्किल खड़ी होने वाली है।
किशोरी लाल शर्मा ने नामांकन करते समय अपने एफिडेफिट में 17वीं लोकसभा के नामांकन हेतु नामांकन पत्र दाखिल किया था। जबकि यह 18वीं लोकसभा का चुनाव संपन्न हुआ है। जिसमें किशोरी लाल शर्मा भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को एक लाख,67 हजार से अधिक मतों से पराजित कर सांसद बने हैं। ऐसे में बड़ा सवाल जिला निर्वाचन अधिकारी और निर्वाचन आयोग के ऊपर भी खड़ा हो रहा है। क्या निर्वाचन आयोग ने निष्पक्ष तरीके से काम नहीं किया है? ऐसे में यदि चुनाव आयोग पक्षपात न करता तो कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा की उम्मीदवारी भी रद्द हो सकती थी,वह चुनाव ही नहीं लड़ सकते थे।
नामांकन के अंतिम दिन 3 मई 2024 को नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद आखिर निर्वाचन आयोग नामांकन पत्रों की जांच कैसे किया कि इतनी बड़ी कमी छूट गई। इस आधार पर किशोरी लाल शर्मा का नामांकन पत्र ही रद्द किया जा सकता था। हालांकि उस समय किसी का ध्यान इस कमी पर नहीं गया इसीलिए ना तो आयोग और ना ही विपक्ष किसी के द्वारा कोई आपत्ति नहीं दाखिल की गई। लेकिन चुनाव संपन्न होने के बाद अब वह एफिडेविट वायरल होने लगा है।
उल्लेखनीय है कि चुनाव परिणाम घोषित हो चुका है, ऐसे में अब निर्वाचन आयोग द्वारा कोई कार्यवाही की उम्मीद नहीं है। ऐसे में अब विपक्ष अर्थात भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट में याचिका करने का मन बना रही है, जिसमें निर्वाचन आयोग को पार्टी भी बनाएगी। क्योंकि लोकसभा प्रत्याशियों के उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की जांच स्वयं चुनाव आयोग करता है। चुनाव आयोग के अधिकारियों की लापरवाही कहें या फिर अनदेखी जिसका लाभ किशोरी लाल शर्मा को मिला और उनका नामांकन पत्र वैध पाया गया तथा मजबूती से चुनाव लड़ते हुए अमेठी के सांसद बन गए।
इस मामले में जब भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष राम प्रसाद मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में है। इस मामले पर कार्यवाही के एफिडेविट हायर अथॉरिटी को भेज दिया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि चुनाव आयोग की प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर रही जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा जानबूझकर कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा की इस कमी को नजरअंदाज किया गया। नहीं तो किशोरी लाल शर्मा चुनाव ही नहीं लड़ सकते थे। क्योंकि इसी आधार पर उनका पर्चा ही खारिज हो जाता, उधर वायरल हो रहे इस एफिडेविट की जानकारी होते ही कांग्रेस पार्टी में हड़कंप मच गया है।
हिन्दुस्थान समाचार/लोकेश त्रिपाठी/राजेश
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