गांव के सरपंच से अजेन्द्र सिंह राजपूत ने शुरू की थी सियासत
नवनिर्वाचित सांसद सिर्फ बारहवीं कक्षा तक ही कर पाए थे पढ़ाई
हमीरपुर, 06 जून (हि.स.)। हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीट पर इंडी गठबंधन की साइकिल की जीत दर्ज कराने वाले सपा नेता अजेन्द्र सिंह राजपूत सियासत की पिच पर अभी कच्चे खिलाड़ी हैं जिनकी सादगी और व्यवहार को देख जनता ने उन पर पहली बार भरोसा किया है। इन्होंने चौबीस साल पहले गांव के सरपंच के चुनाव से राजनीति शुरू की थी। दो बार गांव के सरपंच भी रहे। साल भर पहले समाजवादी पार्टी में आए अजेन्द्र सिंह अभी सियासी चाल भी नहीं समझ पाए कि इंडी गठबंधन की लहर में ये पहली बार में ही सांसद बन गए।
महोबा जिले के पनवाड़ी थाना क्षेत्र के कनकुआं गांव के रहने वाले अजेन्द्र सिंह राजपूत को अपने पिता चन्द्र नारायन सिंह ने राजनीति विरासत में मिली है। इनके पिता अटल बिहारी बाजपेई की जनसंघ पार्टी के नेता रहे है। वह चरखारी विधानसभा सीट से जनसंघ के टिकट से 1967 में पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद चन्द्रनारायन सिंह ने जनसंघ छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ली थी। 1974 के चुनाव में ये महोबा विधानसभा सीट से दोबारा विधायक बने थे। कक्षा बारहवीं तक पढ़ाई करने के बाद अजेन्द्र सिंह राजपूत खेतीबाड़ी में लग गए थे। उन्होंने चौबीस साल पहले ग्रामीणों के कहने पर गांव की प्रधानी की राजनीति शुरू की थी। गांव के दो बार प्रधान भी बने। सांसद बनने के लिए उन्होंने सपा से टिकट मांगा था।
लोधी बिरादरी को अपने पाले में लाने के लिए अखिलेश यादव ने अजेन्द्र सिंह राजपूत को यहां की सीट से प्रत्याशी बनाया। चुनाव मैदान में लोधी बिरादरी के सिर्फ यहीं एक प्रत्याशी है जिनके पक्ष में निर्णायक मतदाता खड़े हो गए थे। मतदान के दौरान पार्टी का परम्परागत वोट साइकिल की तरफ झुका साथ ही भाजपा प्रत्याशी व सांसद पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल से नाराज सवर्ण लोगों ने भी भाजपा से बाय-बाय किया।
नवनिर्वाचित सांसद ने कहा कि संसदीय क्षेत्र के किसान, नौजवान, व्यापारी और मजदूरों की हितों के लिए काम किया जाएगा। शिक्षा, पानी और सिंचाई की समस्या पहली प्राथमिकता होगी, जिसके समाधान के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कटाक्ष करते कहा कि जनता के बीच हमेशा रहेंगे। वह कभी लापता नहीं होंगे।
नवनिर्वाचित सांसद सिर्फ बारहवीं कक्षा तक ही कर पाए थे पढ़ाई
हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीट से नवनिर्वाचित सांसद अजेन्द्र सिंह राजपूत कक्षा बारहवीं तक ही पढ़ाई कर पाए थे। सरल स्वाभाव और बेदाग छवि के कारण ये अपने गांव के दो बार सरपंच बने थे। पिछले विधानसभा चुनाव में इन्होंने चरखारी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए आवेदन किया था। सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने उन्हें प्रत्याशी भी घोषित कर दिया था, लेकिन बाद में उनका टिकट काट दिया था। इससे लोधी समाज भड़क गया था।
अखिलेश के मास्टर प्लान से संसदीय क्षेत्र में सरपट दौड़ी साइकिल
अठारहवीं लोकसभा के चुनाव में अखिलेश यादव ने बुंदेलखंड की हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी सीट से भाजपा को बाहर करने केलिए बड़ा प्लान बनाया था। प्लान के तहत अजेन्द्र सिंह राजपूत पर दांव लगाया गया तो लोधी बिरादरी के लोगों में खुशी दौड़ गई। इस संसदीय क्षेत्र में दो लाख से ज्यादा लोधी मतदाता है। साथ ही डेढ़ लाख से अधिक मुस्लिम और एक लाख से ज्यादा यादव बिरादरी के वोटर है। चुनाव में सपा के इस वोट बैंक में सेंध लगाने में भी भाजपा फेल हो गई।
हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/राजेश
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