अहंकार का अंत ही परमात्मा बनने की शुरुआत होती हैं : समर्पण सागर

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अहंकार का अंत ही परमात्मा बनने की शुरुआत होती हैं : समर्पण सागर


मुरादाबाद, 10 सितम्बर (हि.स.)। जैन समाज द्वारा दसलक्षण पर्व के तीसरे दिन मंगलवार काे उत्तम आर्जव पर्व मनाया गया। श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर लोहागढ़ में प्रातःकाल अभिषेक, शांतिधारा एवं दसलक्षण विधान का आयोजन अजीत कुमार जैन शास्त्री के सानिध्य में दीपांकर एंड पार्टी द्वारा संगीतमय वातावरण में बड़े ही हर्षोल्लास से आयोजित किया गया। शांतिधारा करने का सौभाग्य नरेंद्र जैन, अभिषेक जैन एवं आकाश जैन परिवार को प्राप्त हुआ। समस्त जैन समाज ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर विधान पूजा अभिषेक एवं शांतिधारा में भाग लिया।

सांयकाल श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर लोहागढ़ मुरादाबाद में बालयोगी क्षुल्लक रत्न 105 श्री समर्पण सागर महाराज ने कहा कि मैं यानी अहंकार का अंत ही परमात्मा बनने की शुरुआत होती है। झुकता वही है, जिसमें जान होती है। उन्होंने उपस्थित श्रावकों को जीवन प्रगति के लिए तीन सूत्र थोड़ा-सा झु़कना, थोड़ा-सा सुनना और थोड़ा-सा सहन करना दिए। प्रवचन के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया।

इस मौके पर मुरादाबाद दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष अनिल जैन, मंत्री अरविन्द जैन, उपाध्यक्ष राजीव जैन, उपमा जैन, समीर जैन, महिला जैन समाज की अध्यक्ष नीलम जैन, मंत्री शिखा जैन, प्रीति जैन, सीमा जैन, रिचा जैन आदि उपस्थित रहीं। अनिल जैन के सानिध्य में प्रायोजक नरेन्द्र जैन व विवेक जैन परिवार द्वारा प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरण किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जयसवाल

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