उप्र में औसत से कम हुई है बारिश, वैज्ञानिकों की सलाह धान का मोह त्याग दें किसान

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उप्र में औसत से कम हुई है बारिश, वैज्ञानिकों की सलाह धान का मोह त्याग दें किसान


लखनऊ, 05 अगस्त (हि.स.)।

उत्तर प्रदेश में अब भी अधिकांश जिलों के किसान बारिश के लिए आकाश की तरफ निगाहें लगाये खड़े

हैं। कई जगहों पर लोगों ने अभी तक धान की रोपाई नहीं की है। बादल आते हैं, लेकिन बिना

बारिश लौट जाते हैं। इससे धान के किसानों के लिए काफी मुसीबत खड़ी हो गयी है। वहीं कृषि

वैज्ञानिकों का कहना है कि किसानों को धान का मोह त्यागकर सब्जी और मोटे अनाजों की

तरफ रूख करना चाहिए।

प्रदेश की स्थिति यह

है कि अभी भी औसत वर्षा से 13 प्रतिशत कम हुई है। लखनऊ कानपुर

सहित पूर्वांचल के 42 जिलों में 34 जिले ऐसे हैं, जहां औसत से कम बारिश हुई है। कनौज,

कुशीनगर, मऊ, , मिर्जापुर, रायबरेली, उन्नाव, अमेठी, उन्नाव में तो औसत बारिश का पचास

प्रतिशत तक भी नहीं हुआ है। प्रदेश में जहां औसत से 13 प्रतिशत कम बारिश हुई है। वहीं

पूर्वांचल में 17 प्रतिशत कम बारिश है।

वहीं पश्चिम की बात

करें तो शामली, सहारनपुर, मथुरा, गौतमबुद्धनगर में औसत वर्षा से 50 प्रतिशत से कम बारिश

हुई है। इस मौसम की बेरूखी से किसानों की परेशानी

बढ़ गयी है। अभी भी बहुतेरे किसान धान की रोपाई के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं।

वहीं धान की रोपाई कर चुके किसानों को पानी देने में पसीने निकल रहे। उनका कहना है

कि यही स्थिति रही तो आमदनी से ज्यादा धान की कटाई में खर्च हो जाएगा।

सब्जी अनुसंधान केंद्र

के वैज्ञानिक डा. राजेश राय का कहना है कि यह मौसम मिर्च और अन्य सब्जियों के लिए उपयुक्त

है। किसानों को पारंपरिक खेती छोड़कर इस ओर रूख करना चाहिए। सब्जी के माध्यम से लाभ

भी कई गुना बढ़ जाएगा। इस पर कम बारिश का बहुत ज्यादा असर पड़ने वाला नहीं है। वहीं कानपुर

कृषि विश्वविद्यालय के प्रो.मुनीश का कहना

है कि किसानों को मौसम के हिसाब से स्वयं को ढाल लेना चाहिए। यदि सूखा मौसम है तो इसके

लिए ज्वार, बाजरे की खेती ज्यादा फायदेमंद होगी। मोटे अनाजों की बिक्री भी धान की अपेक्षा

ठीक होती है।

हिन्दुस्थान समाचार / उपेन्द्र नाथ राय / राजेश

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