गौवंश के खान-पान एवं रखरखाव के लिए एडवाइजरी जारी

गौवंश के खान-पान एवं रखरखाव के लिए एडवाइजरी जारी
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गौवंश के खान-पान एवं रखरखाव के लिए एडवाइजरी जारी


झांसी, 04 मई(हि. स.)। ग्रीष्म ऋतु व आगामी वर्षा ऋतु के दृष्टिगत जनपद के गौ-आश्रय स्थलों में संरक्षित निराश्रित गौवंश एवं पशुपालकों द्वारा पाले जा रहे गौवंश के खान-पान व रखरखाव सम्बन्धी विशेष महत्वपूर्ण बिन्दुओं का अनुपालन कराये जाने के सम्बन्ध में एडवाइजरी जारी की गई है। जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने कहा कि किसी भी गौवंश को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।

जिलाधिकारी ने कहा कि ग्रीष्मकालीन प्रबन्धन के लिए गौ-आश्रय स्थलों में ग्रीष्म ऋतु एवं उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के निर्देशानुसार गर्मी एवं लू के प्रकोप के दृष्टिगत मूलभूत व्यवस्था किये जाने के विस्तृत दिशा निर्देश निर्गत किए। जिसमें प्रमुख रुप से गर्म हवाओं तथा लू से बचाव के लिये गौवंश शेड को चारों ओर से टाट अथवा बोरे से ढका जाय तथा यदि सम्भव हो तो दिन में टाट के परदों को पानी से भिगोया जाये, जिससे गर्म हवा को प्रकोप कम से कम हो।

पशुओं के पीने के लिए स्वच्छ जल की व्यवस्था की जाये। गर्मी के मौसम में बोये जाने वाले हरे चारे विशेषकर चरी तथा सूडान ग्रास की फसल में पानी की कमी के कारण हाईड्रोसाइनिक एसिड तथा नाइट्रइट विषाक्तता होने की प्रबल सम्भावना रहती है। अतः चरी के खेत में समय—समय पर पर्याप्त सिंचाई की जाये तथा हरे चारे के जिस खेत में यूरिया की टॉप ड्रेसिंग की गई हो या यूरिया डाला गया हो उस खेत के हरे चारे का उपयोग सिंचाई के उपरान्त कम से कम एक दिन बाद ही खिलाने के लिए किया जाये।

जिलाधिकारी ने एडवाइजरी जारी करते हुए जनपद के समस्त गौशालाओं एवं पशुपालकों को निर्देशित किया है कि पशुओं को मात्र हरा चारा न खिलाया जाये। पशुओं के आहार में 20 प्रतिशत हरे चारे के साथ 80 प्रतिशत गेंहू के भूसे को मिलाकर खिलाया जाये जिससे नाइट्राइट्र तथा हाइड्रोसाइनिक एसिड की विषाक्तता का प्रभाव न्यूनतम हो।

उन्होंने कहा कि हरे चारे को काटने के उपरान्त एक दिन खेत में छोड़ने के बाद कुट्टी काटकर गोवंश को खिलाने के लिए प्रयोग में लाया जाये। यथा-सम्भव ऐसे चारे व भूसे को धोने एवं सुखाने के उपरान्त ही प्रयोग में लाया जाये। उन्होंने पशु चिकित्साधिकारियों द्वारा जनपदों में सूखे से प्रभावित अथवा सिंचाई रहित चरी के सेवन से पशुओं में सम्भावित सायनाइड प्वाइजिंग के उपचार के लिए सोडियम थायोसल्फेट तथा खेती में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न विषाक्तता के लिए विशिष्ट मारक की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सभी पशु चिकित्सालयों पर सुनिश्चित करा लिए जाने के निर्देश दिए।

जिलाधिकारी ने आने वाले वर्षा ऋतु प्रबन्धन की तैयारियों के संबंध मे कहा कि वर्षाकाल से पूर्व गौ आश्रय स्थलों में जल भराव की समस्या का निराकरण, मिट्टी की पटाई समतलीकरण तथा जल निकासी के उपाय करके पूर्ण कर लिया जाय ताकि गोवंश को वर्षा जल से सुरक्षित किया जा सके। उन्होंने भण्डारित भूसे को भीगने से बचाने के पर्याप्त उपाय किया जाने पर भी जोर दिया।

हिन्दुस्थान समाचार/महेश/राजेश

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