अभाविप ने निकाली शोभा यात्रा, खुले अधिवेशन में कार्यकर्ताओं ने दिया भाषण
बहराइच,18 दिसम्बर (हि.स.)। बहराइच के किसान डिग्री कॉलेज में आयोजित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अवध प्रांत के 65वें प्रांत अधिवेशन के दूसरे दिन गुरुवार काे कार्यकर्ताओं ने शोभा यात्रा निकाली। अभाविप की शोभायात्रा किसान डिग्री कॉलेज से बहराइच के घंटाघर से होते हुए तिकोनीबाग तक पहुंची जहां पर खुले अधिवेशन का आयोजन हुआ। खुले अधिवेशन को संबोधित करते हुए अभाविप के प्रांत मंत्री अर्पण कुशवाहा ने कहा कि महमूद ग़ज़नवी जैसे आक्रांताओं ने न केवल मंदिरों को लूटा, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को भी ध्वस्त किया। इसी दौर में एक और नाम उभरकर सामने आया – सैय्यद सालार मियाँ मशहूर ग़ाज़ी का, जिसे बाद में ग़ाज़ी मियाँ के नाम से जाना गया। लोककथाओं और इस्लामी आख्यानों में उसे 'पैगंबर का सिपाही' और 'इस्लाम का योद्धा' कहा गया, लेकिन भारतीय जनमानस में वह एक आक्रांता के रूप में दर्ज हुआ।
ग़ाज़ी मियाँ का उद्देश्य स्पष्ट था – भारत की भूमि पर इस्लाम का विस्तार, हिंदू धर्मस्थलों का विध्वंस, और स्थानीय जनों को दास बनाना। उसने अपने विशाल तुर्की सेनाओं के साथ बहराइच की ओर कूच किया, जहां पर वह कुछ वर्षों में कई छोटे-छोटे हिंदू राज्यों को रौंदता हुआ आगे बढ़ा। उसके अत्याचारों की गूंज सरयू सरयू की घाटियों तक सुनाई देने लगी थी।
आपातकाल पर भाषण देते हुए प्रांत मंत्री अर्पण कुशवाहा ने 25 जून 1975 का दिन भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला अध्याय है, जिसकी विभीषिका को राष्ट्र कभी भुला नहीं सकता। जेलों की काल कोठरियों में डाले गए निर्दोष नागरिकों की पीड़ा, उनके परिवारों की व्यथा और लोकतंत्र पर किए गए क्रूरतम आघात की गाथा इतिहास के पन्नों में सदा अंकित रहेगी। रातों-रात आपातकाल थोपकर कांग्रेस ने यह साबित कर दिया कि उसके लिए सत्ता सर्वोपरि है, लोकतंत्र और संविधान नहीं।
वक्ताओं में अभिनव सिंह खालसा ने हिंदू की चादर गुरु तेग बहादुर पर ,शिवम मिश्रा ने सांस्कृत पर्यटन एवं रोजगार की संभावनाएं,आशुतोष श्रीवास्तव ने स्वभाषा से स्वावलंबन,कुमारी जयश्री रावत ने विकसित भारत 2047 में मातृशक्ति की भूमिका एवं उसके योगदान,तथा मुकेश सोनी ने आपताल लोकतंत्र की रक्षा के लिए युवाओं का संघर्ष विषय पर भाषण दिया। इस अवसर पर प्रान्त अध्यक्ष प्रो.नीतू सिंह प्रमुख रूप से उपस्थित रहीं।
हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन

