आत्मा की शुद्धि के लिए सांसारिक इच्छाओं को रोकना ही उत्तम तप : समर्पण सागर

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आत्मा की शुद्धि के लिए सांसारिक इच्छाओं को रोकना ही उत्तम तप : समर्पण सागर


मुरादाबाद, 14 सितम्बर (हि.स.)। पर्यूषण पर्व के सातवें दिन शनिवार काे पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर रामगंगा विहार में उत्तम तप के रूप में मनाया गया। समर्पण भवन में विराजमान बालयोगी गिरनार पीठाधीश्वर क्षुल्लक रत्न 105 समर्पण सागर ने उत्तम तप का मर्म समझाते हुए बताया कि आत्मा की शुद्धि के लिए सांसारिक इच्छाओं को रोकना ही उत्तम तप है। तप मन को शुद्ध एवं नियंत्रित करने के लिए किए जाते हैं।

श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा भगवान जिनेंद्र का मंगल जलाभिषेक किया गया। विश्व मंगल की कामना के साथ शान्तिधारा की गई। शान्तिधारा करने का परम सौभाग्य जैन समाज के लोगों को प्राप्त हुआ। शाम के समय सामूहिक आरती और प्रवचन हुए। सांस्कृतिक कार्यक्रम में कौन जाएगा, शिखर जी की प्रस्तुति की गई। व्यवस्थाओं में रामगंगा विहार जैन समाज के अध्यक्ष संदीप जैन, मंत्री नीरज जैन वरिष्ठ कार्यकर्ता सर्वोदय जैन, पवन कुमार जैन, अनुज जैन, अजय जैन, अंकुर जैन, राहुल जैन, विकास जैन, मोहित जैन, सुषमा जैन, उषा जैन, रजनी जैन, सजल जैन, ऋतु जैन, अंजलि जैन, शिवानी जैन, आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जयसवाल

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