श्रीरामलला की 4 बार होती है आरती, कराया जाता है राजभोग, जानिये श्रीरामलला की पूरी दिनचर्या 

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वाराणसी/लखनऊ। अयोध्या में श्रीरामलला विराजमान हो चुके हैं। भक्तों को नित्य उनका दर्शन भी मिल रहा है। रामलला की विधिविधान से आरती, पूजन व राजभोग आदि का प्रबंध किया गया है। चलिए जानते हैं महंत सत्येंद्र दास से श्रीरामलला की पूरी दिनचर्या। 

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ब्रह्म मुहूर्त में श्रीरामलला को जगाया जाता है। उसके बाद उनका श्रृंगार करके भोग लगाया जाता है। इसके बाद उनकी आरती करके प्रातः 6 बजे उनके दर्शन के लिए पट खोल दिए जाते हैं। श्रीरामलला की मंगला आरती होती है लेकिन, दिखाई नहीं जाती। दोपहर में करीब साढ़े 11 बजे राजभोग (पूड़ी सब्जी खीर) कराया जाता है। इसके बाद आरती करके रामलला को शयन कराया जाता है। 

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दोपहर बाद 2 बजे फिर से रामलला को पेड़े के साथ भोग लगाया जाता है। पट खोलकर दर्शन कराया जाता है। शाम 6 बजे फिर आरती होती है। पेड़े के साथ पंचमेवा का भोग लगाया जाता है, फिर दर्शन शुरु होता है। रात्रि 8 बजे (वर्तमान स्थिति मे 9 बजे) राजभोग कराया जाता है। दाल-चावल, पूड़ी (रोटी) सब्जी का भोग लगाने के बाद आरती होकर मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। इसके बाद रामलला को शयन करवाया जाता है। 

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चार बार होती है आरती
श्रीरामलला की 4 आरती होती है। प्रातः शयन से उठाकर मंगला आरती (यह सर्वजन हेतु नहीं होती), श्रृंगार आरती, भोग आरती, संध्या आरती और शयन आरती की जाती है।

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