ऐतिहासिक आल्हा मंच पर दिखी बुंदेली लोक विधाओं की झलक

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ऐतिहासिक आल्हा मंच पर दिखी बुंदेली लोक विधाओं की झलक


ऐतिहासिक आल्हा मंच पर दिखी बुंदेली लोक विधाओं की झलक


ऐतिहासिक आल्हा मंच पर दिखी बुंदेली लोक विधाओं की झलक


महोबा, 21 अगस्त (हि.स.)। ऐतिहासिक कजली महोत्सव की 843वीं वर्षगांठ का आयोजन भव्य रूप से हुआ। महाेत्सव के दूसरे दिन बुधवार को आल्हा मंच पर बुंदेली लोक विधाओं की धूम मची रही है, जिनको देखने और सुनने को लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। हजारों की संख्या में लोग कीरत सागर तट पर डटे रहे।

वीरता की याद में आयोजित होने वाला ऐतिहासिक कजली महोत्सव में बुंदेलखंड समेत मध्य प्रदेश के अन्य जिलों के लोग भी शामिल होने के लिए महाेबा पहुंचते हैं। महोत्सव के दूसरे दिन हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ मेला में देखने पहुंची। महिलाओं ने मेले में जमकर खरीददारी की और जमकर लुत्फ़ उठाया। आल्हा मंच पर बुंदेली लोक विधाओं की धूम मची रही है। कलाकारों ने बुंदेली लोकगीत, दिवारी कार्यक्रम पेश किया गया। छिकहरा निवासी आल्हा सम्राट वंश गोपाल यादव के द्वारा आल्हा गायन की शानदार प्रस्तुति दी गई है। वीर रस से भरे आल्हा गायन को सुनकर बुंदेलों की भुजाएँ फड़कने लगती हैं।

पुलिस के द्वारा ऐतिहासिक कजली मेला की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुख्ता इंतजाम किए गए थे। मेला परिसर में जगह-जगह पर पुलिस के द्वारा वॉच टावर बनाए

गए और सीसीटीवी कैमराें के द्वारा पूरे मेला की निगरानी की जाती रही।

हिन्दुस्थान समाचार / Upendra Dwivedi / मोहित वर्मा

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