आज बच्चे फिल्मी एक्टर और कार्टून कैरेक्टर को हीरो मान रहे हैः डॉ नीलम सिंह

आज बच्चे फिल्मी एक्टर और कार्टून कैरेक्टर को हीरो मान रहे हैः डॉ नीलम सिंह


-लेखक मोहम्मद असलम की पुस्तक ‘सपनों का बचपन रंगमंच’ का लखनऊ में हुआ विमोचन

लखनऊ, 23 नवम्बर (हि.स.)। लेखक मोहम्मद असलम खान के लिखे नाट्य संग्रह ‘सपनों का बचपन रंगमंच’ का विमोचन आज यानि बुधवार को आयोजित एक कार्यक्रम में हुआ। नाट्य संस्था निसर्ग संस्था की ओर से विमोचन कार्यक्रम गोमती नगर स्थित संगीत नाटक अकादमी के वाल्मीकि रंगशाला में हुआ, जिसमें बतौर मुख्य अतिथि महर्षि विद्या मंदिर की प्रधानाचार्य डॉ नीलम सिंह, अध्यक्ष रूसी भाषाविद् व नाटककार डॉ साबरा हबीब, विशिष्ट अतिथि सिटी मांटेसरी स्कूल गोमती नगर शाखा की प्रिंसीपल डॉ मंजू आनंद ने पुस्तक का लोकार्पण किया। इस अवसर पर साहित्यकार शाखा बंधोपध्याय व आयोजक संस्था के अध्यक्ष वरिष्ठ रंगकर्मी ललित सिंह पोखरिया सहित कई लेखक, संस्कृतिकर्मी व साहित्यप्रेमी मौजूद रहे।

रंगकर्मी पोखरिया ने इस अवसर पर कहा कि बाल रंगमंच हर दौर में चिंतन और चिंता का विषय रहा है। विशेष तौर पर बालकों के लिए नाटक की विषय वस्तु और उनके प्रस्तुतिकरण का स्वरूप। मौजूदा समय में जब अनेक प्रकार की सामाजिक, सांस्कृतिक विसंगतियों का बोलबाला हो गया है, तो छोटे बच्चों के साथ-साथ स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए एक बड़ा नैतिक और मानसिक संकट खड़ा हो गया है। ऐसे परिदृश्य में मोहम्मद असलम ख़ान रचित बालनाट्य संग्रह ‘सपनों का बचपन‘ नई आशा जगाता है। इस संग्रह में देश विदेश के महापुरुषों, भारत की आज़ादी के संघर्ष संबंधी प्रसंगों, स्वाधीनता सेनानियों और नैतिक प्रेरणा देने वाले सामाजिक कुल 50 नाटक हैं।

मुख्य अतिथि डॉ नीलम सिंह ने कहा कि यह किताब मौजूदा पीढी के लिए बहुत प्रेरणादायक साबित होगी, जो बच्चे अपने साहित्य, रंगमंच से दूर हो रहे हैं। उन्हें कनेक्ट करेगी। जो बच्चे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ज्यादा कनेक्ट हैं। उन चीजों से दूर कर बच्चों को रीयल फील्ड में लाने का यह किताब काम करेगी। आज बच्चे फिल्म हीरो, कार्टून करेक्टर को हीरो मान रहे हैं। असल हीरो असलम जी की किताब में हैं, जिन्हें बच्चे जानेंगे।

लेखक मोहम्मद असलम खान ने अपनी पुस्तक के विभिन्न नाटकों व उन विभूतियों के योगदान के बारे में बताया। उन्होंने रानी लक्ष्मी बाई, अब्रहम लिंकन और महात्मा गांधी पर आधारित नाटकों पर प्रकाश डाला। सीएमएस गोमती नगर की प्रिंसीपल डॉ मंजू आनंद ने मोहम्मद असलम और खुद के स्कूली जीवन की स्मृतियां साझा कीं। उन्होंने कहा कि यह किताब के नाटकों को स्कूलों की कैरीकुलम एक्टीविटी में शामिल होना चाहिए। बीएड व बीटीसी के प्रशिक्षाणार्थियों के कोर्स में शामिल होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इन नाटकों के मंचन से बडा बदलाव हो सकता है।

वहीं, प्रो. साबरा हबीब ने कहा कि यह पुस्तक नाटक ही नहीं, बल्कि देश का इतिहास है। अक्सर जो इतिहास बच्चों को बताया जा रहा वो सही नहीं होता। आजकल बच्चों बचपन मोबाइल के हवाले है। संस्कार, तहजीब कहां-कैसे सीखेंगे यह हमें सोचना होगा। उन्होंने पुस्तक के कई नाटकों का जिक्र किया। शाखा बंधोपाध्याय ने कहा कि यह पुस्तक बेसिक शिक्षा के जरिये डायट में शामिल होनी चाहिए। थियेटर एजुकेशन के क्षेत्र में शिक्षा विभाग में हो रहे काम के लिए अमूल्य है।

हिन्दुस्थान समाचार/शैलेंद्र

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