झांसी : अब किसान के खेत पर पहुंचेगी मोबाइल प्लांट हेल्थ क्लीनिक वेन

झांसी : अब किसान के खेत पर पहुंचेगी मोबाइल प्लांट हेल्थ क्लीनिक वेन


झांसी : अब किसान के खेत पर पहुंचेगी मोबाइल प्लांट हेल्थ क्लीनिक वेन


झांसी : अब किसान के खेत पर पहुंचेगी मोबाइल प्लांट हेल्थ क्लीनिक वेन


झांसी : अब किसान के खेत पर पहुंचेगी मोबाइल प्लांट हेल्थ क्लीनिक वेन


खेत की मिट्टी, फसल में लगने वाले कीट और रोगों की देगी जानकारी,करेगी उपचार

झांसी, 25 नवम्बर(हि. स.)। बुंदेलखंड क्षेत्र में सर्वाधिक खेती किसानी का कार्य किया जाता है। वैज्ञानिकों की मानें तो बुंदेलखंड क्षेत्र कम उत्पादकता के लिए चर्चित है। यहां के किसानों को खेती करने में विभिन्न समस्याएं आती रहती हैं। इस समस्या के समाधान के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना व वित्त पोषित परियोजना उप्र द्वारा किसान के खेत तक मोबाइल प्लांट हैल्थ क्लीनिक वेन संचालित की जा रही है।

इसके संबंध में जानकारी देते हुए रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के नवागंतुक कुलपति डॉ. एके सिंह ने बताया कि मोबाइल प्लांट हेल्थ क्लीनिक वेन का उद्देश्य किसान के खेत तक पहुंचकर गांव में कैंप आयोजित करते हुए विभिन्न फसलों में लगने वाले रोगों एवं कीटों की पहचान एवं नियंत्रण की जानकारी प्रदान कराना है।

ये हैं प्राथमिकताएं

उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड में चार प्रकार की मिट्टी कृषि योग्य पाई जाती है। जिसमें अलग-अलग फसल एवं फसल चक्र हैं। कृषि वानिकी, फलों एवं सब्जी की अच्छी संभावना है। यहां पर पर्याप्त बरसात होती है। उन्होंने कहा कि दलहन तिलहन की पैदावार बढ़ाना, मक्का की खेती बढ़ाना, समेकित खेती बढ़ाना, जल प्रबंधन मजबूत करना, उद्यमिता विकास, एफपीओ को बाजार से जोड़ना आदि उनकी प्रमुख प्राथमिकताएं हैं। जानवरों की उत्पादकता बढ़ाना, मछली पालन को सुदृढ़ीकरण आदि पर ध्यान देना भी शामिल है।

इन बिंदुओं पर भी होगा कार्य

उन्होंने बताया कि इससे पहले वह देश के सभी 730 कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रमुख रहे। उस दौरान भी वह कई बार झांसी और बुन्देलखण्ड में कृषि के विकास व नई उन्नत किस्म के बीजों के उपयोग पर बल देते रहे। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय शोध पर भी कार्य करता है। शोध में नई प्रजाति के बीज किसान तक पहुंचाने में करीब 8 से 11 साल लग जाते हैं। मक्का,मूंगफली व सरसों के ऐसे ही उन्नत किस्म के बीजों को बुन्देलखण्ड के किसानों तक पहुंचाने का कार्य चल रहा है। विश्वविद्यालय स्पीड ब्रीडिंग पर भी कार्य कर रहा है। इससे बीजों की उन्नत किस्म की प्रजाति बनाने में समय करीब आधा हो जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि किसानों तक नई तकनीकों को पहुंचाने का हर सम्भव प्रयास किया जाएगा। किसानों को जोड़े रखने के लिए किसान मेला,बीज वितरण कार्यक्रम आदि किए जाएंगे। साथ ही तकनीकि की जानकारी हर किसान तक पहुंचाने के लिए एफएम रेडियो शुरू करने की भी योजना है। प्राकृतिक व पारंपरिक खेती व जानवरों की अधिक संख्या व कम उत्पादकता पर भी काम करने की आवश्यकता है।

किसानों को दो घंटे में प्राप्त होते हैं परिणाम

मोबाइल प्लांट हैल्थ क्लीनिक वेन के प्रभारी डॉ. जाम्बुलकर ने बताया कि उनकी वेन में एक साथ 10 किसानों के खेतों की मिट्टी के कुल 14 परीक्षण के परिणाम महज दो घंटे में प्राप्त हो जाते हैं। उसमें से मृदा परीक्षण, बीमारी व कीटों के प्रकार जानने की विशेषता उपलब्ध है। अभी वह बरुआसागर में शिविर आयोजित कर चुके हैं।

ये रहे उपस्थित

इस अवसर पर निदेशक शोध डॉ. एआर शर्मा, निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ एसएस सिंह,निदेशक शिक्षा डॉ अनिल कुमार, अधिष्ठाता कृषि एसके चतुर्वेदी,अधिष्ठाता उद्यानिकी वानिकी मनमोहन डोबरियाल,पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ. एसएस कुशवाहा व सुजीत चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/महेश

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