आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बीएचयू में 6 महीने का कोर्स, एक फरवरी से शुरुआत

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बीएचयू में 6 महीने का कोर्स, एक फरवरी से शुरुआत


-कम्प्यूटर विज्ञान विभाग में चलाया जाएगा पाठ्यक्रम, पंजीकरण 12 से 25 जनवरी तक, पाठ्यक्रम के लिए कोई शुल्क नहीं, परीक्षा के आधार पर प्रवेश, कुल सौ सीट

वाराणसी, 11 जनवरी (हि.स.)। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कंप्यूटर विज्ञान विभाग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर एक विशेष प्रशिक्षण और प्रमाणन कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। यह कार्यक्रम विशेष रूप से छात्रों और कामकाजी पेशेवरों को एप्लाइड साइंटिस्ट और डेटा साइंटिस्ट के रूप में कैरियर बनाने के लिए प्रशिक्षित करने के लिए चलाया जाएगा। प्रशिक्षण पाठ्यक्रम नैसकॉम द्वारा सुझाए गए ढांचे पर आधारित है। इसमें एआई से सम्बंधित परिचयात्मक और उन्नत विषय शामिल होंगे। बिग डेटा का परिचय, सांख्यिकीय अवधारणाएं और अनुप्रयोग, सांख्यिकीय उपकरण, डेटा इम्पोर्ट और प्रीप्रोसेसिंग, एक्सप्लोरिंग और मेनीपुलेटिंग डाटा, डेटा संरचनाएं और एल्गोरिदम, ग्रॉफ और स्ट्रिंग एल्गोरिदम, आर्टिफीसियल न्यूरल नेटवर्क्स, प्रोग्रामिंग फॉर डेटा, पायथन प्रोग्रामिंग, विजुअलाइजेशन, मैनेजरियल स्किल्स जैसे विषयों में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के द्वारा ट्रेनिंग करवाई जाएगी।

विवि के जनसम्पर्क अधिकारी ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब राष्ट्रीय महत्व और विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक अनुप्रयोगों के साथ एक महत्वपूर्ण तकनीक बन गई है। 2018 में नीति आयोग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए भारत की राष्ट्रीय रणनीति प्रकाशित की, जिसने एआई की आर्थिक क्षमता पर प्रकाश डाला है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, डेटा और एआई की तकनीकी भूमिकाओं में ही 2 करोड़ से अधिक नौकरियां पैदा की जा सकती है। इसके अलावा यह डिसिप्लिन्स परिधीय भूमिकाओं में अधिक नौकरियां पैदा करने की क्षमता रखते हैं। भारत को डेटा और एआई के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए इन क्षेत्रों में प्रशिक्षित विशेषज्ञों की आवश्यकता है। इसी कारण से भारत सरकार, भारतीय युवाओं के बीच इन क्षमताओं के विकास के लिए कार्यक्रमों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर

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