शिवपुर केन्द्रीय कारागार के 300 कैदियों ने सीखा रेशम रंगाई और बुनाई, हुए पारंगत
वाराणसी, 21 नवम्बर (हि.स.। सजा काटने के बाद शिवपुर स्थित केन्द्रीय कारागार में बंद कैदी भी सम्मानजनक आजीविका का अवसर पा सकेंगे। कैदियों के पुनर्वास,जेल परिसर में सम्मानजनक आजीविका के अवसर और आय सृजन के लिए सेंट्रल सिल्क बोर्ड ने पहल की है। जेल के तीन सौ कैदियों को कौशल विकास प्रशिक्षण शिविर में रेशम बुनाई और रंगाई सिखाया जा रहा है। कला में पारंगत कैदियों में मंगलवार को जेल परिसर में उन्हें प्रमाण पत्र दिया गया।
उप सचिव (समर्थ), कपड़ा मंत्रालय कुमार नित्यानंद, वरिष्ठ अधीक्षक सेंट्रल जेल वाराणसी राधा कृष्ण मिश्रा, जेलर सूबेदार यादव, संजय कुमार गुप्ता, उप निदेशक बुनकर सेवा केंद्र, सहायक निदेशक (रेशम उत्पादन) वरिष्ठ वैज्ञानिक और नोडल अधिकारी-समर्थ आदि की मौजूदगी में बंदियों का उत्साह वर्धन भी किया गया। प्रशिक्षक सोनू मौर्य, मोनू मौर्य, अशोक मौर्य, राकेश और अद्वितीय डिजाइन वाली रेशम साड़ियों के उत्पादन के लिए जेल के कैदियों के कौशल में सुधार के लिए केंद्रीय रेशम बोर्ड के प्रयास की सराहना की गई।
इस दौरान उप सचिव (समर्थ) नित्यानंद ने बताया कि कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार ने कपड़ा क्षेत्र में लाभकारी रोजगार पैदा करने में उद्योग के प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए समर्थ नामक मांग आधारित रोजगार से जुड़ी कौशल विकास योजना शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य हथकरघा, हस्तशिल्प, रेशम उत्पादन और जूट के पारंपरिक क्षेत्रों में कौशल और कौशल उन्नयन को बढ़ावा देना भी है। केंद्रीय रेशम बोर्ड कपड़ा मंत्रालय के तहत एक क्षेत्रीय संगठन है जो देश भर में रेशम क्षेत्र में कौशल विकास प्रशिक्षण आयोजित करता है। एक अभिनव पहल के रूप में, सेंट्रल सिल्क बोर्ड, सेंट्रल जेल, वाराणसी के कैदियों के लिए रेशम बुनाई और रंगाई में कौशल विकास प्रशिक्षण आयोजित कर रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/पदुम नारायण
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