शिक्षा को चहारदीवारी से निकालकर आंगनबाड़ी तक पहुंचाएं : राज्यपाल

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शिक्षा को चहारदीवारी से निकालकर आंगनबाड़ी तक पहुंचाएं : राज्यपाल


शिक्षा को चहारदीवारी से निकालकर आंगनबाड़ी तक पहुंचाएं : राज्यपाल


शिक्षा को चहारदीवारी से निकालकर आंगनबाड़ी तक पहुंचाएं : राज्यपाल


- उप्र राजर्षि टंडन मुक्त विवि के दीक्षांत समारोह में 26 मेधावियों को मिले स्वर्ण पदक

प्रयागराज, 11 सितम्बर (हि.स.)। शिक्षा को चहारदीवारी से बाहर निकाल कर आंगनबाड़ी तक पहुंचाना आज के युग की आवश्यकता है। महिलाओं को शिक्षित किया जाना इस देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए अनिवार्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प तभी पूरा होगा जब महिलाएं शिक्षित होंगी।

उक्त विचार बुधवार को उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के 19वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति के साथ-साथ बच्चों को भी विकास की धारा से जोड़ना अति आवश्यक है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी बच्चों के बाल मनोविज्ञान को समझने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के साथ-साथ विश्वविद्यालय में भी प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की आवश्यकता है। राज्यपाल ने शिक्षा को रोजगार एवं कौशल से जोड़ने की सलाह दी और सभी विद्यार्थियों को इंटर्नशिप द्वारा इंडस्ट्री से जुड़ने का महत्व बताया। भारत सरकार द्वारा तैयार की गई इस प्रकार की योजनाओं का भी उन्होंने संदर्भ रखा।

उन्होंने कहा कि कारागारों को भी अध्ययन केंद्र बनाया जाना चाहिए और ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को शिक्षा की मुख्यधारा में लाया जाना चाहिए। राज्यपाल ने उप्र राजर्षि टंडन मुक्त विवि को निर्देश दिया कि विद्यार्थियों की संख्या में बढ़ोत्तरी करने का प्रयास किया जाए। इसके लिए विश्वविद्यालय अपने 12 क्षेत्रीय केन्द्रों के लिए प्रवेश का लक्ष्य निर्धारित करें और अध्ययन केदो को भी छात्र संख्या बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाय। उन्होंने कहा कि वह महीने भर बाद उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कार्यों की समीक्षा करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि देश के विकास के लिए हमारा पारिवारिक ढांचा मजबूत होना चाहिए।

दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, बोधगया के कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था भारतीय सांस्कृतिक मूल्य और भारतीय जीवन दृष्टि के अनुरूप होनी चाहिए तभी हम एक समावेशी भारत को मूर्त रूप दे सकेंगे। उन्होंने शिक्षार्थियों से कहा कि वह अपने जीवन में नैतिकता व मानवीय मूल्य का समावेश करते हुए जीवन को व्यवहारिक रूप प्रदान करें। उन्होंने कहा कि शोध के उन्नयन एवं विकास हेतु अधिक से अधिक शोध परियोजनाओं को चलाने के लिए शिक्षकों को आगे आना होगा। इसके साथ ही स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप शोध हेतु प्राथमिकता वाले क्षेत्र तय करने होंगे। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि आज जरूरत है आध्यात्म को विज्ञान से, परमार्थ को व्यवहार से, परम्परा को आधुनिकता से जोड़ते हुए वैयक्तिक, सामाजिक एवं वैश्विक जीवन में समरसता स्थापित की जाए।

उन्होंने आगे कहा कि 24 करोड़ से अधिक की इस विशाल जनसंख्या वाले राज्य में ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के माध्यम से समाज के हर वर्ग तक भारतीय ज्ञान परम्परा की पहुंच बनाई जा सकती है। प्रदेश वासियों को रोजगार परक एवं कौशल युक्त शिक्षा को मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के माध्यम से सर्व सुलभ बनाने के लिए मुक्त विश्वविद्यालय की सराहना की।

समारोह के विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री डॉ योगेंद्र कुमार उपाध्याय ने कहा कि शिक्षा किसी भी जागरूक समाज का आधार स्तंभ होती है। यह एक ऐसी आधारशिला है जिस पर एक प्रगतिशील लोकतांत्रिक समाज खड़ा होता है। हमारे शिक्षण संस्थान युवाओं में मातृभूमि से प्रेम, सभी के लिए दया, महिलाओं का सम्मान, जीवन में ईमानदारी, आचरण में आत्म संयम तथा अनुशासन के बुनियादी मूल्यों का समावेश करने में प्रमुख भूमिका का निर्वाह करते हैं, जिससे एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण किया जा सके।

विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि सशक्त राष्ट्र निर्माण के लिए युवा शक्ति को आगे आना होगा। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि अपने लिए एक योग्य लक्ष्य निर्धारित करें और इसको साकार करने के लिए तकनीकी ज्ञान और समर्पित परिश्रम का उपयोग करें। शिक्षा बराबरी सुनिश्चित करने का एक सशक्त माध्यम है और इसके द्वारा समाज में समानता, समरसता और सामाजिक आर्थिक रूप से गतिशीलता हासिल की जा सकती है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु यह मुक्त विश्वविद्यालय नवीनतम प्रयोग कर रहा है।

दीक्षान्त समारोह में सत्र दिसम्बर 2023 तथा जून 2024 की परीक्षा के सापेक्ष उत्तीर्ण 31,940 शिक्षार्थियों को उपाधि प्रदान की गयी। इस अवसर पर राज्यपाल ने समारोह में कुलाधिपति स्वर्ण पदक क्षेत्रीय केंद्र, आजमगढ़ की छात्रा आरती यादव को प्रदान किया। विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक इस बार स्नातकोत्तर वर्ग में विद्या शाखाओं के 7 टापर्स को दिए गए। उन्होंने 11 मेधावी शिक्षार्थियों को दानदाता स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। राज्यपाल के निर्देश पर विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गांव में स्थित आंगनबाड़ी केन्द्रों में स्वास्थ्य, स्वच्छता, पोषण आहार एवं कार्यकत्रियों की उपस्थिति मानदंड आधारित प्रतियोगिताएं आयोजित की गई और प्रतियोगिता के विजेताओं को कुलाधिपति द्वारा पुरस्कृत किया गया। दीक्षान्त समारोह के अवसर पर आंगनबाड़ी केंद्रों को विश्वविद्यालय की तरफ से श्रीमती पटेल द्वारा किट भेंट किये गये। इसके साथ ही राजभवन की तरफ से मुक्त विश्वविद्यालय के समीपवर्ती प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों के लिए राज्यपाल ने सौ पुस्तकें प्रदान की।

विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य सत्यकाम ने राज्यपाल एवं अन्य सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय में चल रहे कार्यक्रमों एवं विश्वविद्यालय की प्रगति के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालय के एकलव्य मोबाइल एप लॉन्च किया तथा गंगा परिसर में स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन किया। दीक्षांत समारोह का संचालन प्रोफेसर पी के पांडेय ने किया। इस अवसर पर पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ नरेंद्र कुमार सिंह गौर, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल, रज्जू भैया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार सिंह, विधायक गुरु प्रसाद मौर्य, प्रोफेसर पीके साहू पूर्व कुलपति इविवि, मनोज गौतम कमांडेंट आर ए एफ आदि उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

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