एक्यूप्रेशर चिकित्सा का एक अभिन्न अंग : राज्यमंत्री दयालु

एक्यूप्रेशर चिकित्सा का एक अभिन्न अंग : राज्यमंत्री दयालु


एक्यूप्रेशर चिकित्सा का एक अभिन्न अंग : राज्यमंत्री दयालु


-एक्यूप्रेशर शोध संस्थान के 24वां राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ शुभारम्भ

प्रयागराज, 23 नवम्बर (हि.स.)। एलोपैथ के अलावा जितनी विधाएं हैं, उसका जन्म बहुत पहले से हुआ है। एक्यूप्रेशर विधा प्राकृतिक चिकित्सा का एक अभिन्न अंग है तथा जनहित में इसके व्यापक प्रसार की आवश्यकता है। यह बातें आयुष राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने बुधवार को एक्यूप्रेशर शोध प्रशिक्षण एवं उपचार संस्थान के 24वें राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद कही।

झूंसी स्थित सरस्वती आश्रम छतनाग में एमपी खेमका महाविद्यालय में आयोजित सम्मेलन में दयालु ने देश के कई राज्यों से आए चिकित्सकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि इलाज के लिए कुल सात विधाएं हैं। इसमें यूनान 5-6 हजार वर्ष पूर्व से है। महर्षि श्रुश्रुत की चरक संहिता है, जो सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद का जनक भगवान धनवन्तरि को मानते हैं। हमारी पुरानी पद्धति सबसे अच्छी है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि इतिहास और अपने अतीत में झांकने का जो बीड़ा प्रधानमंत्री मोदी ने उठाया है, वह बहुत सराहनीय है। अंत में उन्होंने संस्थान को सहयोग का भी आश्वासन दिया।

विशिष्ट अतिथि इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश कुमार अग्रवाल ने कोरोना काल का जिक्र करते हुए गिलोय पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जिन्होंने काढ़ा पिया, सभी स्वस्थ रहे और डेंगू में भी जिन्होंने पपीते के पत्ते का रस और बकरी का दूध पिया, उनका प्लेटलेट्स दो दिन में बहुत बढ़ गया। इसी प्रकार उन्होंने आयुर्वेद एवं एक्यूप्रेशर की उपयोगिता के बारे में चर्चा की। अंत में उन्होंने यह भी कहा कि हमारे हाईकोर्ट में 90 प्रतिशत जज एक्यूप्रेशर विधा से ही इलाज कराते हैं।

संस्थान के अध्यक्ष जे.पी अग्रवाल ने जटिल एवं असाध्य रोगों में एक्यूप्रेशर के बारे में उदाहरण प्रस्तुत करते हुए इसके सरकारी स्तर पर जनहित में व्यापक प्रसार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि एलोपैथ के चिकित्सक भी जानते हैं कि अंग्रेजी दवाओं का साइड इफेक्ट बहुत है। इसलिए वे भी इन्हीं पद्धतियों से अपना भी इलाज कराते हैं।

कार्यक्रम का संचालन संस्थान के निदेशक ए.के द्विवेदी एवं धन्यवाद ज्ञापन परिसर के प्राचार्य ए.पी सिंह ने किया। इस अवसर पर डॉ आंजनेय शुक्ल, एस.के गोयल, ए.के शुक्ल, एम.बी त्रिपाठी, एस.एन दुबे, एस.पी केसरवानी एम.एम कूल समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त

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