15 जनवरी को मनाया जाएगा मकर संक्रांति का पर्व

15 जनवरी को मनाया जाएगा मकर संक्रांति का पर्व
WhatsApp Channel Join Now
15 जनवरी को मनाया जाएगा मकर संक्रांति का पर्व








मुरादाबाद, 12 जनवरी (हि.स.)। श्री हरि ज्योतिष संस्थान लाइनपार मुरादाबाद के संचालक प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि पंचांग के अनुसार 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पावन पर्व मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि सूर्य देव 14 और 15 जनवरी की रात में 2:54 बजे धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसको ही मकर संक्रांति कहा जाएगा। इस दिन भक्त पूरे दिन विधि-विधान से सूर्य भगवान की आराधना, स्नान एवं दान करेंगे।

ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि इस बार मकर संक्रांति पर चार महायोग बन रहे हैं। इस दिन सूर्य मकर राशि में रहेंगे। साथ ही शतभिषा व पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, शश योग, वरियान योग, वाशी योग, सुनफा योग बनेगा। इन योगों में शुभ कार्य, दान, पुण्य, तीर्थ यात्रा, भागवत महापुराण का पाठ करना फलदाई होगा।

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि मकर संक्रांति पुण्यकाल 15 जनवरी की सुबह 7:15 बजे से शाम 06:21 बजे तक रहेगा। मकर संक्रांति महा पुण्यकाल 15 जनवरी की सुबह 7:15 बजे से पूर्वाह्न 9:6 बजे तक है।

उन्होंने आगे बताया कि मकर संक्रांति पर गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। साल में वैसे 12 संक्रांति मनाई जाती है लेकिन मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य धनु राशि के निकलकर मकर राशि में संचार करते हैं। इसलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति देश के अलग-अलग कोने में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उत्तरायण, पोंगल, मकरविलक्कु, माघ और बिहु।

मकर संक्रांति पर दान करने से मिलती है शनिदेव और सूर्यदेव की कृपा

ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन तिल, गजक, उड़द की दाल की खिचड़ी, मूली, मिर्च, मसाले, नमक, गुड़, जूते, अन्न, वस्त्र कंबल का दान करने से व्यक्ति को शनिदेव और सूर्यदेव की कृपा मिलती है। इस दिन आप जो भी दान करेंगे, वह सीधा भगवान को अर्पित होता है। साथ ही इस दिन से रात छोटी होने लगती है और दिन थोड़े लंबे होने लगते हैं।

मकर संक्रांति के दिन खुलते हैं स्वर्ग के द्वार

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन स्वर्ग के द्वार खुलते हैं। इसलिए भीष्म पितामह ने भी बाण लगने के बाद भी प्राण त्यागने के लिए सिर्फ उत्तरायण का समय चुना था। ताकी उन्हें मोक्ष मिल सके। इस दिन गंगा स्नान करने से सात जन्मों के पाप मिट जाते हैं।

उत्तराणय देवता के दिन और दक्षिणायण रात

ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि मकर संक्रांति के त्योहार के बाद से दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं। सूर्य एक वर्ष में उत्तरायण और दक्षिणायण होते हैं। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण देवताओं का दिन और दक्षिणायण देवताओं की रात मानी जाती है। सूर्य जब दक्षिणायन में रहते हैं तो इस दौरान देवी- देवताओं की रात और उत्तरायण के छह माह को दिन कहा जाता है। दक्षिणायन को नकारात्मकता और अंधकार का प्रतीक जबकि उत्तरायण को सकारात्मकता और प्रकाश का प्रतीक माना गया है।

हिन्दुस्थान समाचार/निमित/दीपक/दिलीप

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story