हमारा देश विश्व के लिए ज्ञान का एक महत्वपूर्ण केंद्र है: राज्यपाल
— विद्यार्थियों में सफलता प्राप्त करने की ललक होनी चाहिए: पद्मश्री मुरलीकांत राजाराम पेटकर
लखनऊ, 13 सितम्बर (हि.स.)। राज्यपाल एवं कुलाध्यक्ष आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में शुक्रवार को डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का 11वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। समारोह में विद्यार्थियों को कुल 1615 उपाधियाँ एवं 159 पदक प्रदान किए गए। इसमें 59 स्वर्ण पदक, 50 रजत पदक एवं 50 कांस्य पदक शामिल थे। सभी उपाधियों को डिजिलॉकर पर अपलोड किया गया।
समारोह में राज्यपाल ने उपस्थित सभी उपाधि एवं पदक प्राप्तकर्ता विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि एक अभिभावक के लिए अपने बच्चों का पदक प्राप्त करना, आनंद और गौरव का विषय होता है। दिव्यांग बच्चों के पीछे माता-पिता को सबसे ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
राज्यपाल ने सामान्य वर्ग एवं दिव्यांगजन के लिए विश्वविद्यालय में एक साथ समावेशी शिक्षा की सराहना करते हुए कहा कि दिव्यांगजन एवं सामान्य जनों के लिए अलग-अलग अवार्ड होने चाहिए। उनकी मेरिट भी अलग-अलग होनी चाहिए। समारोह के मुख्य अतिथि पद्मश्री मुरलीकांत राजाराम पेटकर का स्वागत करते हुए उन्हें कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा उनके जीवन वृतांत पर आधारित फिल्म को विद्यार्थियों को दिखाया जाए जिससे वे प्रेरित और प्रोत्साहित हो सके।
कुलाध्यक्ष्य ने पेरिस पैरालंपिक में भारतीय खिलाड़ियों द्वारा अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के खिलाडियों ने भी यह साबित किया है कि हमारे राज्य में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। उन्होंने इन खिलाड़ियों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी। राज्यपाल ने दिव्यांगजनों के लिए आम बजट में किए गए प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि बजट का महत्वपूर्ण हिस्सा दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम को समर्पित है। उन्होंने विश्वविद्यालय को शिक्षा रूपी ज्ञान यज्ञ का स्थल बताया तथा कहा कि विश्वविद्यालय को गांव एवं आंगनबाड़ी तक पहुंचना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कक्षा पांचवी तक मातृभाषा में शिक्षा की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि यदि भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनना है तो मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देना होगा। राज्यपाल ने इसी माह शुरू होने जा रहे पितृपक्ष पखवारा के अवसर पर अपने पूर्वजों और पितरों के नाम पर वृक्षारोपण अभियान की अपील की। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि जीवन में आगे बढ़ने का संकल्प ले व अपनी प्रतिभा को पहचान कर परिश्रम करें, अपने सपने एवं लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में अग्रसर हो तथा अच्छे इंसान बने। उन्होंने कहा कि शिक्षा के माध्यम से समाज में भेदभाव समाप्त किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि पद्मश्री मुरलीकांत राजाराम पेटकरने विश्वविद्यालय को दुनिया का सबसे अच्छा दिव्यांग विश्वविद्यालय बताया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में सफलता तथा पदक प्राप्त करने की ललक होनी चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से बहादुर बनने की भी अपील की। समारोह में प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांग जन सशक्तिकरण राज्य मंत्री नरेंद्र कश्यप ने उपाधि एवं पदक प्राप्तकर्ता विद्यार्थियों को बधाई दी।
इस अवसर पर राज्यपाल ने विश्वविद्यालय तथा जिला प्रशासन लखीमपुर खीरी के सौजन्य से आंगनबाड़ी केन्द्रों को समृद्ध बनाए जाने के लिए 200 आंगनबाड़ी किट प्रदान किए। प्रदेश भर में आंगनबाड़ी केन्द्रों को समृद्ध बनाने के प्रयास के तहत अबतक 17,026 आंगनबाड़ी किटों का वितरण किया जा चुका है।
हिन्दुस्थान समाचार / दीपक वरुण
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