श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ में 11 हजार संतों एवं श्रद्धालुओं ने किया शंखनाद
वाराणसी, 25 नवम्बर (हि.स.)। श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ में शनिवार को 11 हजार संतों एवं श्रद्धालुओं ने श्री लक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी महाराज के नेतृत्व में विश्व शांति के लिए एक साथ शंखनाद किया। लंका क्षेत्र के मारूती नगर गंगा तट पर आयोजित महायज्ञ के प्रवचन मंच, पांडाल और चतुर्दिक खड़े संतों एवं श्रद्धालुओं ने तीन चरणों में तीन बार लगातार शंख वादन किया। इसमें महिलाओं और बालिकाओं ने भी पूरे उत्साह के साथ भागीदारी की।
इस दौरान जीयर स्वामी जी ने कहा कि नियमित शंख वादन भटके हुए लोगों को सत्पथ पर लाता है, अनुशासित करता है। वैदिक उद्धरणों का उल्लेख कर संतश्री ने बताया कि हृदय रोग, मस्तिष्क, तनाव एवं अवसाद ग्रस्त लोग शंखवादन के अभ्यास से आरोग्य, आत्मशांति और आत्मानंद प्राप्त कर सकते हैं।
यज्ञ आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं शंखनाद के संयोजक जगद्गुरु रामानुजाचार्य शिवपूजन शास्त्री ने बताया कि ज्ञात इतिहास में इतने लोगों द्वारा समवेत शंखघोष नहीं किया गया। यह कार्यक्रम भगवान भूतनाथ और भगवती अन्नपूर्णा की नगरी काशी की गौरव गाथा में एक सुनहरा क्षण है। उन्होंने वाईटल सेल्फ मेडिटेशन के माध्यम से इस दौरान अर्जित सकारात्मक ऊर्जा के समस्त विश्व में प्रसार के लिए प्रार्थना करायी।
रेडक्रास सोसायटी के सचिव एवं वैदिक अध्येता प्रसून कुमार मिश्र ने शंख वादन के धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक शोधों ने यह स्थापित किया है कि नियमित शंख बजाने वाले व्यक्ति की श्वसन प्रणाली इतनी मजबूत हो जाती है कि वैक्टिरिया एवं वायरस बेअसर हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि कोविड महामारी के दौरान चिकित्सक शंख बजाकर फेफड़े मजबूत करने की सलाह दे रहे थे।
बीएचयू के ज्योतिष विशेषज्ञ प्रोफेसर रामजीवन मिश्र ने विभिन्न वैदिक मंत्रों के उल्लेख से शंख का महत्व स्थापित किया। हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर एवं यज्ञ विद्या के अधिकारी आचार्य धीरेन्द्र मनीषी ने वैदिक साहित्य, आयुर्वेद एवं आधुनिक विज्ञान के तुलनात्मक विवेचन से शंख के महत्व और उसके वादन के शरीर और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभावों का विद्वतापूर्ण विवेचन किया।
कार्यक्रम में जर्मन दार्शनिक एवं वैदिक शोधकर्ता जोखिम नुश्च ने कहा कि विश्व शांति के उद्देश्य से शंखघोष का यह अद्भुत कार्यक्रम दुनिया में पहली बार हो रहा है। भारतीय मनीषियों ने शंख के आरोग्यकारी प्रभावों को हजारों साल पहले जान लिया था और उसे प्रत्येक सनातनी व्यक्ति की दिनचर्या का अंग बना दिया था। उन्होंने कहा कि शंख ध्वनि 350 मीटर की परिधि में नकारात्मक ऊर्जा एवं विषाणुओं का शमन कर सुसुप्त मस्तिष्क को उर्ध्वगामी बनाती है।
सकलडीहा चंदौली के विधायक प्रभु नारायण यादव एवं दिल्ली के विद्वान सुनील चौधरी ने संतों के प्रयास को सराहा। कार्यक्रम में यज्ञेश त्रिपाठी, संदीप कुमार सिंह उर्फ मुन्ना, जय प्रकाश चतुर्वेदी, अशोक उपाध्याय, वाचस्पति पाण्डेय, सुनील पाठक आदि ने कार्यक्रम में भागीदारी की।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/राजेश
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