नए साल से पहले फफूंद को नहीं मिली कोई सौगात, विकास से कोसों दूर
औरैया, 23 दिसंबर (हि. स.)। उत्तर प्रदेश के औरैया जनपद के कस्बा फफूंद नए साल 2026 के आगमन में अब चंद दिन ही शेष रह गए हैं, लेकिन फफूंद क्षेत्र को अब तक कोई ऐसी सौगात नहीं मिल सकी, जिससे कस्बे व आसपास के ग्रामीण इलाकों का विकास हो सके।विकास की राह ताकता यह कस्बा आज भी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में पिछड़ेपन का दंश झेल रहा है। हालात यह हैं कि पढ़े-लिखे बेरोजगार युवा सुबह से शाम तक रोजगार की तलाश में सड़कों पर चप्पलें घिसते नजर आते हैं।
नगर में विकास की जिम्मेदारी नगर पंचायत के कंधों पर है, जो सीमित संसाधनों के सहारे कार्य कर रही है। सब्जी मंडी व गल्ला मंडी में जगह के अभाव के कारण व्यापारियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। संकरी सड़कों के चलते बड़े वाहन मंडी तक नहीं पहुंच पाते, जिससे व्यापार प्रभावित हो रहा है।
कस्बे के मुख्य बाजार में अंग्रेजों के काल में बना विशाल मेन गेट आज भी इतिहास की यादें समेटे खड़ा है, लेकिन इसके इर्द-गिर्द विकास की तस्वीर फीकी है।
एक समय फफूंद में तहसील और मुंसिफ कोर्ट हुआ करती थीं, जिससे दिनभर चहल-पहल रहती थी। लेकिन जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते कस्बा विकास की दौड़ में पीछे छूट गया। आज बाजार पूरी तरह किसानों पर निर्भर है। कस्बे से कुछ ही दूरी पर गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) का पाता गैस प्लांट संचालित है, बावजूद इसके क्षेत्र आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। पाता रेलवे स्टेशन के आसपास की सड़कें बड़े प्लॉट होने के बावजूद गड्ढों में तब्दील हैं।
क्षेत्र की समस्याओं को लेकर समाजसेवी लगातार आवाज उठा रहे हैं। राष्ट्रीय कोरी/कोली जागृति महासभा ने जिलाधिकारी को छह सूत्रीय मांग पत्र सौंपा है। महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बेंचलाल कोरी ने बताया कि ककोर मुख्यालय से एरवा कटरा तक बस सेवा शुरू कराई जाए, देवरपुर, शेरपुर सरैया व बमुरी नहर तक सड़क निर्माण कराया जाए, पढ़ींन नदी के पुल को चालू किया जाए और जनपद भर में बेसहारा पशुओं को गौशालाओं में भिजवाया जाए।
इसके साथ ही फफूंद में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना, डॉक्टरों की नियुक्ति, महिला चिकित्सालय में जच्चा-बच्चा वार्ड शुरू करने, महिला डॉक्टर की तैनाती और आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराने की भी मांग की गई है। बेंचलाल कोरी ने कहा कि पाता प्लांट को संचालित हुए लगभग 43 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन क्षेत्र के विकास के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
समाजसेवियों का कहना है कि फफूंद व आसपास के ग्रामीण क्षेत्र की जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है। नए साल से पहले भी यदि विकास की कोई ठोस पहल नहीं हुई तो यह पिछड़ा क्षेत्र यूं ही अपने दुर्भाग्य पर आंसू बहाता रहेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील कुमार

