मिलिये बनारस की स्वाति बलानी से जिन्होंने बेजुबान जानवरों को ही बना लिया अपना परिवार, मां की तरह रखती हैं ख्याल 

Swati Balani
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वाराणसी। वैसे तो जानवरों और पक्षियों से इंसान का प्यार कोई नई बात नहीं है। अपने घर के पालतू जानवर के साथ हम एक अलग तरह का भावनात्मक रिश्ता बना लेते हैं। कई लोग ऐसे भी हैं जो जानवरों को अपने बच्चे की तरह मानते हैं और वे उनका पालन-पोषण वैसे ही करते हैं, जैसे कि इंसानी बच्चों का किया जाता है। पशु-पक्षियों से इंसान के बेइंतेहा प्यार के कई सारे दिलचस्प किस्से भी हैं, लेकिन वाराणसी की सिकरौल निवासी स्वाति बलानी का पशु-पक्षियों से प्यार बेहद अनूठा है।

एक मां की तरह रखती हैं जानवारों का ख्याल
हम बात कर रहे वाराणसी सिकरौल निवासी स्वाति बलानी की जिनके अंदर बचपन से ही जानवरो के प्रति प्यार और सेवा भाव जग गया। जो लोग अपने जानवरो को किसी वजह से घर से निकाल देते हैं। स्वाति उन्हें अपना लेती हैं। स्वाति के पास उनके घर में वर्तमान में 20 कुत्ते, 13 बिल्लियां, 2 सांड, एक चील और तकरीबन 5 दर्जन अलग-अलग प्रजाति के पक्षि हैं। इस सभी जानवरो के लिए स्वाति माँ से कम नहीं है। अपंग जानवर हो या किसी बीमारी से ग्रसित स्वाति माँ के तरह उनका ख्याल रखती हैं। 

बेजुबानों को ही बना लिया अपना परिवार
स्वाति ने अपना जीवन इन बेजुबानों की सेवा और इन्हें प्यार देने में ही समर्पित कर दिया है। इनकी आधी उम्र बीत चली है, लेकिन अब तक इन्होंने शादी नहीं की न अपना खुद का परिवार बसाया। स्वाति का कहना है कि यह जानवर ही उनका परिवार है। स्वाति से जब उनके शादी न करने की वजह पूछी गईं तो उन्होंने कहा कि, अगर वो शादी कर लेती तो उनका यह परिवार छूट जाता इसलिए उन्होंने इन बेजुबानों के ही अपना परिवार बना लिया है।

स्वाति ने अपने घर पर ही इन जानवरों के साथ अपनी एक प्यारी सी दुनिया बसा रखी है। इन जानवरों का स्वाति बिल्कुल एक मां की तरह ख्याल रखती हैं। स्वाति ने बताया कि, उन्हें बचपन से जानवरों से लगाव रहा है, लेकिन ये लगाव कब इतना बढ़ गया कि पता ही नहीं चला। 

घायल और अस्वस्थ जानवरों को अपना लेती हैं स्वाति
उनके पास कई तरह के जानवर है और उन सभी में आपस में बहुत प्यार है। सभी जानवर एक दूसरे के साथ पले बड़े हैं तो कभी कभी वह एक दूसरे की आदतों को भी अपना लेते हैं। कुत्ता कभी बिल्ली की तरह हरकत करता है तो बिल्ली कुत्तों की तरह। उन्होंने कहा कि वह ऐसे जानवरों को अपनाती है, जिन्हें लोग छोड़ देते है या फिर जो जानवर उन्हें घायल अवस्था में मिलते हैं। 

स्वाति के पिता भी हैं खुश
स्वाति के पिता राकेश बलानी जो बैंक से रिटायर हैं। उन्होंने बताया कि स्वाति का बचपन से ही जानवरों के प्रति काफी लगाव था, पर जैसे जैसे यह बड़ी होती गई यह लगाव पैशन में बदल गया। अब किसी भी जानवर की तकलीफ स्वाति से देखी नहीं जाती। इसलिए स्वाति ने शादी भी नहीं कि क्योंकि उन्हें इन जानवरों की हमेशा चिंता रहती है कि शादी के बाद इन्हें कौन देखेगा।

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